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सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया हादसे के पायलटों को दोषी ठहराने वाली खबरों को बताया गैर-जिम्मेदाराना

सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2025 को एयर इंडिया विमान हादसे की जांच पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने पायलटों पर लगे 'ईंधन बंद' करने के आरोपों को 'दुर्भाग्यपूर्ण' कहा।

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सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया के विमान हादसे की जांच से जुड़े एक मामले की सुनवाई की। यह हादसा अहमदाबाद में 12 जून 2025 को हुआ था, जिसमें 260 लोगों की जान चली गई थी। कोर्ट ने उन खबरों पर गुस्सा जताया, जिनमें कहा गया कि पायलटों ने जानबूझकर विमान का ईंधन बंद किया। जस्टिस सूर्या कांत ने इन दावों को बेहद गलत और गैर-जिम्मेदाराना बताया। कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें इस हादसे की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।

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हादसे का दर्दनाक सच

12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे से लंदन जा रही एयर इंडिया की उड़ान AI171 उड़ान भरने के 32 सेकंड बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का पहला घातक हादसा था। इसमें 260 लोग मारे गए, जिनमें 19 लोग जमीन पर थे। जांच में पता चला कि उड़ान के तुरंत बाद विमान के दोनों इंजनों के ईंधन स्विच अपने आप ‘रन’ से ‘कट-ऑफ’ स्थिति में चले गए, जिससे इंजन बंद हो गए। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक पायलट को दूसरे से पूछते सुना गया कि उसने ईंधन क्यों बंद किया, जिसका जवाब था कि उसने ऐसा नहीं किया।

पायलटों पर लगे आरोपों का विवाद

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि एक विदेशी अखबार ने जांच पूरी होने से पहले ही पायलटों पर ईंधन बंद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पायलटों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, जबकि दोनों पायलट बहुत अनुभवी थे। कप्तान सुमीत सभरवाल ने 15,638 घंटे की उड़ान भरी थी, और सह-पायलट क्लाइव कुंदर के पास 3,403 घंटे का अनुभव था। भूषण ने मांग की कि फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जांच के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किया जाए ताकि सच सामने आ सके।

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जांच में गोपनीयता और पारदर्शिता की जरूरत

जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने जांच में गोपनीयता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। जस्टिस कांत ने कहा कि ऐसी संवेदनशील जांच में जल्दबाजी में पायलटों को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच पूरी होने तक ऐसी खबरों से बचना चाहिए जो भ्रम फैलाएं। याचिका में मांग की गई थी कि हादसे की कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच हो, क्योंकि शुरुआती जांच रिपोर्ट में पूरी जानकारी नहीं दी गई।

परिवारों का गुस्सा और दर्द

हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों ने जांच की धीमी गति और जानकारी की कमी पर नाराजगी जताई है। कई परिवारों ने मांग की कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की पूरी जानकारी उन्हें दी जाए। इस हादसे में केवल एक यात्री, विश्वशकुमार रमेश, जिंदा बचे थे। परिवारों का कहना है कि उन्हें सच जानने का हक है। जांच अभी चल रही है, और अंतिम रिपोर्ट अगले साल तक आने की उम्मीद है।

स्वतंत्र जांच की मांग

प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि जांच में पारदर्शिता बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि शुरुआती रिपोर्ट में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का पूरा विवरण नहीं दिया गया। केवल एक छोटा हिस्सा सामने आया, जिसमें पायलटों के बीच भ्रम की बात थी। भूषण ने जोर देकर कहा कि फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट रिकॉर्डिंग की पूरी जांच स्वतंत्र विशेषज्ञों से कराई जाए। इससे यह साफ हो सकेगा कि हादसे की असल वजह क्या थी। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए चार हफ्ते बाद की तारीख दी है।

Keywords:Air India Plane Crash, Supreme Court Hearing, Pilot Blame, Flight Data Recorder, Air India Accident Investigation

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