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अफगानिस्तान में तालिबान ने इंटरनेट पर लगाई पाबंदी, पूरा देश डिजिटल अंधेरे में डूबा

तालिबान ने अफगानिस्तान में इंटरनेट और फाइबर ऑप्टिक सेवाएं बंद कर दीं। इस फैसले से व्यापार, शिक्षा और संचार पर गहरा असर पड़ा। लोग दुनिया से कटे, मोबाइल डेटा भी धीमा।

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अफगानिस्तान में तालिबान ने इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाओं पर पूरी तरह रोक लगा दी। इस फैसले से देश की संचार व्यवस्था रुक गई। नेटब्लॉक्स नाम की इंटरनेट निगरानी संस्था के मुताबिक, इस दिन कनेक्टिविटी सामान्य स्तर की 1 प्रतिशत से भी कम रह गई। इस ब्लैकआउट ने बैंक, व्यापार और सीमा शुल्क जैसी जरूरी सेवाओं को ठप कर दिया। तालिबान ने इसे ‘अनैतिकता रोकने’ का कदम बताया, लेकिन आम लोगों की जिंदगी मुश्किल हो गई। आइए इस घटना को समझें।

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इंटरनेट बंदी की शुरुआत

तालिबान ने सितंबर 2025 की शुरुआत में कई प्रांतों में फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट बंद करना शुरू किया। 16 सितंबर को बल्ख प्रांत के प्रवक्ता हाजी अताउल्लाह जईद ने कहा कि उनके इलाके में फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट पर पूरी तरह रोक लग गई। ये आदेश तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने दिया। इसके बाद कंधार, हेलमंद, कुंदुज, बघलान, बदख्शां, तखार, नंगरहार, हेरात और परवान जैसे प्रांतों में भी इंटरनेट बंद हो गया। 30 सितंबर को ये प्रतिबंध पूरे देश में लागू हो गया, जिससे वाई-फाई और हाई-स्पीड इंटरनेट खत्म हो गया।

अर्थव्यवस्था पर बुरा असर

अफगानिस्तान का 9,350 किलोमीटर लंबा फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी था। 2024 में तालिबान ने इसे गरीबी कम करने और दुनिया से जुड़ने की अहम परियोजना बताया था। लेकिन अब इस नेटवर्क के बंद होने से बैंकिंग, ऑनलाइन व्यापार और सरकारी कामकाज रुक गया। लोग ऑनलाइन पैसे नहीं भेज पा रहे। छोटे-बड़े कारोबार ठप हैं। कंधार के एक व्यापारी ने कहा कि इंटरनेट के बिना ग्राहकों से संपर्क करना और ऑर्डर लेना असंभव हो गया है।

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शिक्षा और मीडिया पर संकट

इंटरनेट बंद होने से शिक्षा और मीडिया पर गहरा असर पड़ा। कई छात्र ऑनलाइन क्लास और किताबों तक नहीं पहुंच पा रहे। खासकर लड़कियां, जिन्हें तालिबान ने स्कूल-कॉलेज जाने से रोका है, अब पूरी तरह दुनिया से कट गईं। अफगानिस्तान मीडिया समर्थन संगठन ने इस कदम की निंदा की। उनका कहना है कि ये सूचना के अधिकार और बोलने की आजादी को खत्म कर रहा है। न्यूयॉर्क की कार्यकर्ता सबीना चौधरी ने बताया कि उनका अपने अफगान कर्मचारियों से संपर्क टूट गया।

मोबाइल इंटरनेट की मुश्किलें

तालिबान ने मोबाइल इंटरनेट को चालू रखा है, लेकिन ये बहुत धीमा और महंगा है। मजार-ए-शरीफ के एक व्यक्ति ने बताया कि मोबाइल डेटा से व्हाट्सएप मैसेज भेजने में भी घंटों लग जाते हैं। मोबाइल डेटा का खर्च इतना ज्यादा है कि आम लोग इसे नहीं खरीद सकते। तालिबान ने वैकल्पिक इंटरनेट सिस्टम की बात कही, लेकिन अभी तक कोई नया तरीका शुरू नहीं हुआ। इससे लोग पूरी तरह असहाय हैं।

तालिबान का तर्क

तालिबान ने कहा कि इंटरनेट पर अनुचित सामग्री फैल रही थी, इसलिए ये कदम उठाया गया। बल्ख के प्रवक्ता ने इसे अनैतिकता रोकने का तरीका बताया। 30 सितंबर को एक सरकारी अधिकारी ने पुष्टि की कि 8,000 से 9,000 टेलीकॉम पिलर बंद कर दिए गए। इससे पहले, 18 सितंबर को जलालाबाद में भी इंटरनेट सेवाएं ठप हो गई थीं। लेकिन लोग इस तर्क से नाराज हैं और कह रहे हैं कि ये उनकी आजादी छीन रहा है।

KeywordsAfghanistan Internet Ban, Taliban Digital Darkness, Netblocks Connectivity Drop, Afghan Economy Crisis, Fiber Optic Network Shutdown

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