चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान को लेकर स्पष्ट संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि चीन ताइवान की स्वतंत्रता की ओर बढ़ रही अलगाववादी गतिविधियों और बाहरी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करेगा। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने पर जोर दिया। शी जिनपिंग यह टिप्पणी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में आयोजित स्वागत समारोह में की। उन्होंने कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य में आदान-प्रदान और सहयोग को गहरा करने के प्रयास किए जाने चाहिए, लेकिन किसी भी अलगाववादी कदम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रवासियों से मेहनत और विकास का आह्वान
शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में चीनी लोगों से कड़ी मेहनत और देश के आधुनिकीकरण के लिए लगातार प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि चीनी राष्ट्र का महान कायाकल्प एक अभूतपूर्व कार्य है और इसके लिए हर नागरिक को उत्साह और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। शी ने जोर देकर कहा कि नए चीन की स्थापना के बाद से 76 वर्षों में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने आत्मनिर्भरता और लगातार प्रयास की भावना से लोगों को बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रेरित किया है। उनका संदेश था कि देश की प्रगति और विकास में सभी को बराबर भूमिका निभानी होगी।
राष्ट्रीय दिवस और शहीद दिवस समारोह
इससे पहले, शी जिनपिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता तियानमेन चौक में शहीद दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल हुए। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय दिवस से एक दिन पहले आयोजित किया गया था। चीन इस साल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के खिलाफ चीनी जन प्रतिरोध युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ भी मना रहा है। राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर देश भर में एक सप्ताह का अवकाश रहेगा। इस दौरान देशव्यापी समारोह और सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें देश की सैन्य और ऐतिहासिक उपलब्धियों को भी याद किया जाएगा।
चीन और ताइवान के बीच बढ़ता तनाव
हाल ही में चीन के रक्षा मंत्री दोंग जुन ने भी ताइवान को लेकर कड़ा रुख अपनाया और चेतावनी दी थी कि चीन आवश्यक होने पर स्व-शासित ताइवान पर कब्जा कर सकता है। ताइवान 2.3 करोड़ की आबादी वाला लोकतंत्र है, जो 1949 से चीन से अलग है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक और सैन्य तनाव बढ़ा है। शी जिनपिंग की हाल की टिप्पणियों से यह स्पष्ट हुआ कि चीन ताइवान के मुद्दे पर किसी भी प्रकार के अलगाववादी कदम को बर्दाश्त नहीं करेगा और अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत का उपयोग कर अपने रुख को कायम रखेगा।
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