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दुनियाभर की निगाहें आज रात सुपरमून पर, चांद का सबसे बड़ा और चमकीला नजारा

आज रात चांद अपनी सबसे नजदीकी दूरी पर होगा, सामान्य से 14% बड़ा और 30% चमकीला दिखेगा। बिना उपकरण के सभी इसे देख सकेंगे। यह सुपरमून समुद्र के ज्वार-भाटों पर भी प्रभाव डालेगा।

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आज रात दुनियाभर की निगाहें सुपरमून पर टिकी होंगी, जब चंद्रमा अपनी सबसे नजदीकी दूरी पर होगा। इस खास अवसर पर चांद का आकार सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और उसकी चमक 30 प्रतिशत अधिक दिखाई देगी। नासा के अनुसार, यह दुर्लभ खगोलीय घटना न केवल खगोल विज्ञान के प्रेमियों के लिए रोमांचक है, बल्कि इसका प्रभाव समुद्र के ज्वार-भाटों पर भी पड़ सकता है। इसलिए आज की रात आसमान की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए एक अनूठा मौका है।

आज रात चांद की रोशनी पूरी दुनिया के लिए खास आकर्षण बनेगी। लोग चंद्रमा की सतह पर दिखने वाले खास निशानों को देखने के लिए उत्साहित हैं, जो आम दिनों में साफ नहीं दिखते। यह नजारा प्रकृति के रहस्यों को समझने और खगोल विज्ञान में रुचि बढ़ाने का मौका है।

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सुपरमून तब होता है जब पूरा चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिसे ‘परिगी’ (पृथ्वी के सबसे निकट) कहते हैं। इस वजह से चांद बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखता है। सुपरमून हर महीने नहीं आता, इसलिए यह एक खास और खूबसूरत खगोलीय घटना होती है।

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सुपरमून अपनी बढ़ी हुई चमक और आकार के लिए खास होता है, जिससे लगता है कि चांद जमीन के बहुत करीब है। इसे कई संस्कृतियों में ‘हार्वेस्ट मून’ भी कहते हैं, खासकर फसल कटाई के समय। यह नजारा बहुत खूबसूरत और यादगार होता है।

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सुपरमून पर चांद सामान्य पूर्णिमा से करीब 14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकीला दिखता है। यह फर्क बिना उपकरण के भी साफ नजर आता है, जिससे रात का माहौल बेहद खूबसूरत बन जाता है।

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नासा के अनुसार, सुपरमून तब होता है जब चांद अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब ‘परिगी’ पर होता है। तब चांद बड़ा और चमकीला दिखता है। यह घटना वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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सामान्यत: चांद पृथ्वी से करीब 252,000 मील दूर होता है, लेकिन सुपरमून पर ये दूरी घटकर 224,600 मील हो जाती है, जो लगभग 10% कम है। इस वजह से चांद बड़ा और चमकीला नजर आता है।

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सुपरमून देखने के लिए किसी खास उपकरण की जरूरत नहीं होती। पूरी दुनिया के लोग इसे अपनी आंखों से देख सकते हैं। यह खूबसूरत नजारा सभी उम्र के लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है और कला व संस्कृति में भी प्रेरणा देता है।

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सुपरमून देखने का सबसे अच्छा समय तब होता है जब चांद आसमान के सबसे ऊंचे स्थान पर होता है, जिसे ‘मिडनाइट क्रॉसिंग’ कहते हैं। तब उसकी चमक और आकार सबसे ज्यादा दिखते हैं, जिससे दृश्य और भी खूबसूरत बन जाता है।

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सुपरमून के समय अगर आसमान साफ हो तो चांद के साथ-साथ अन्य ग्रह और तारे भी पूरी चमक के साथ दिखते हैं। यूरेनस, मर्स और वीनस जैसे ग्रह भी नजर आते हैं, जिससे खगोल प्रेमियों के लिए यह रात बेहद खास बन जाती है। लोग इस खूबसूरत खगोलीय नजारे का आनंद लेकर रात भर आसमान को निहारते हैं।

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सुपरमून के दौरान चंद्रमा की नजदीकी से समुद्र की लहरें बढ़ जाती हैं, जिससे ज्वार-भाटा सामान्य से ज्यादा तीव्र हो सकते हैं। यह खासकर तटीय इलाकों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जहां सतर्कता जरूरी हो जाती है।

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