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गणेशोत्सव को लेकर BMC की तैयारी पूरी, 250 से ज्यादा बड़े आकार के होंगे कृत्रिम तालाब

बीएमसी ने गणेशोत्सव को लेकर अपनी तैयारी तेज कर चुकी है। बीएमसी की तरफ से इस बोर गणेश उत्सव को इको-फ्रेंडली बनाने के लिए पिछला बार से ज्यादा से ज्यादा कृत्रिम तालाब बनाने की तैयारी की है।

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जहां एक तरह मुंबईकर बप्पा के आगमन की तैयारियों में जुटे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीएमसी अपनी तैयारियों में जुट चुकी है, जी हां बीएमसी बनाएगी 250 से ज्यादा कृत्रिम तालाब, ताकि मूर्तियों का विसर्जन प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना हो सके।

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बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने घोषणा की है कि इस साल 250 से अधिक कृत्रिम तालाब पूरे शहर में बनाए जाएंगे, जिससे गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन पर्यावरण के अनुकूल तरीके से हो सके। हर वार्ड की ज़रूरत के अनुसार तालाबों की संख्या तय की जाएगी, यह आंकड़ा 250 से ज़्यादा ही रहेगा। पिछले साल यानी 2024 में 204 तालाब बनाए गए थे, जबकि इस बार इसकी संख्या कम-से-कम 250 अधिक होगी।

पीओपी मूर्तियों पर अदालत का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार, 6 फीट से छोटी प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियों का विसर्जन केवल कृत्रिम तालाबों में ही किया जाएगा। बड़ी मूर्तियों को समुद्र, नदियों और झीलों में विसर्जित करने की अनुमति रहेगी। यह नियम जल प्रदूषण को कम करने और हरित उत्सव को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है।

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तालाबों का आकार

बीएमसी का कहना है कि सभी कृत्रिम तालाब गणेश चतुर्थी शुरू होने से पहले, यानी 27 अगस्त तक तैयार कर दिए जाएंगे। इस बार तालाबों का आकार बड़ा रखने की भी योजना है, ताकि अधिक संख्या में मूर्तियों का एक साथ विसर्जन किया जा सके। इसके अलावा, गणेश मंडलों के स्वयंसेवकों को पर्यावरण हितैषी विसर्जन के साथ-साथ आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि किसी आपात स्थिति में तुरंत मदद मिल सके।

विसर्जन के बाद बचने वाले पीओपी मूर्तियों के अवशेष बीएमसी इकट्ठा करेगी और उन्हें ठाणे जिले के शिलफाटा स्थित अपने कंस्ट्रक्शन एंड डिमॉलिशन वेस्ट रीसाइक्लिंग प्लांट तक पहुंचाया जाएगा। हालांकि, इन अवशेषों के रीसाइक्लिंग की सटीक पद्धति अभी तय नहीं हुई है।

राज्य सरकार एक विशेषज्ञ समिति बना रही है और बीएमसी भी अलग से विशेषज्ञों से सलाह ले रही है। अगले 10 से 15 दिनों में प्रक्रिया अंतिम रूप से तय कर ली जाएगी। बीएमसी उप आयुक्त किरण दिघावकर के अनुसार, यह पहली बार होगा जब बीएमसी बड़े पैमाने पर पीओपी मूर्तियों के अवशेषों का वैज्ञानिक निपटान करेगी।

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