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गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में माइकल जैक्सन के बाद जुबिन का नाम दर्ज, राज्य सम्मान के साथ होगी अंतिम विदाई

19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में एक हादसे में प्रसिद्ध गायक जुबिन गर्ग का निधन हो गया। असम और पूरे देश में शोक की लहर है। गुवाहाटी से लेकर सोनापुर तक लाखों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़े।

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असम के प्रिय गायक जुबिन गर्ग के निधन की खबर ने पूरे राज्य को स्तब्ध कर दिया। 19 सितंबर को सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान हुए हादसे में उनकी असमय मृत्यु हो गई। उनके पार्थिव शरीर के असम पहुंचने के बाद गुवाहाटी में हजारों लोग उमड़े, जिन्होंने अपने प्रिय कलाकार को अंतिम बार देखने की कोशिश की।

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असम सरकार ने पहले पोस्टमार्टम पर उठाये सवाल

सिंगापुर की रिपोर्ट में मौत का कारण डूबना बताया गया था, लेकिन असम सरकार ने इसे लेकर संदेह जताया। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में दूसरा पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया, जिसमें एम्स गुवाहाटी की टीम भी शामिल रही। परिवार की सहमति से यह प्रक्रिया पूरी हुई ताकि मौत की असली वजह स्पष्ट हो सके।

जुबिन गर्ग के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ ने रचा इतिहास

जुबिन गर्ग के अंतिम दर्शन के लिए जुटी अभूतपूर्व भीड़ ने इतिहास रच दिया। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इसे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अंतिम यात्रा की भीड़ घोषित किया। इस सूची में पहले से माइकल जैक्सन, पोप फ्रांसिस और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय जैसे नाम शामिल हैं।

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गुवाहाटी से सोनापुर तक अंतिम यात्रा

पोस्टमार्टम के बाद उनके पार्थिव शरीर को गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में रखा गया, जहां आम जनता ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद अंतिम यात्रा सोनापुर के कमरकुची गांव तक पहुंची। इसी स्थल पर उनकी चिता सजाई गई और हजारों लोग नम आंखों से विदाई देने पहुंचे।

सरकार और समाज की मौजूदगी

जुबिन गर्ग के अंतिम संस्कार में केंद्र सरकार की ओर से किरेन रिजिजू और राज्य सरकार के कई मंत्री मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने खुद उनके परिवार से बातचीत कर यह सुनिश्चित किया कि अंतिम संस्कार कमरकुची में ही संपन्न हो। गुवाहाटी के व्यापारी वर्ग को भी सरकार ने आश्वस्त किया कि जुबिन के नाम का राजनीतिक या व्यावसायिक दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा।

दो स्मारकों की योजना

राज्य सरकार ने घोषणा की है कि जुबिन गर्ग की स्मृति में स्मारक बनाया जाएगा। एक स्मारक सोनापुर के कमरकुची गांव में होगा, जबकि दूसरा जोरहाट में बनाने की योजना है। यह फैसला उनके असम से गहरे भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है।

भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने दी श्रद्धांजलि

जुबिन गर्ग की लोकप्रियता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं थी। भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। असम और पूर्वोत्तर भारत के संगीत को नई पहचान दिलाने वाले इस कलाकार को पड़ोसी देशों में भी खूब सराहा गया।

हेमंत बिस्वा ने कहा,’अब कोई दूसरा जुबिन नहीं होगा’

जब जुबिन की अंतिम यात्रा गुवाहाटी से सोनापुर की ओर बढ़ी, तो सड़कों पर उनका लोकप्रिय गीत ‘मायाबिनी’ गूंज उठा। हजारों प्रशंसक रोते-बिलखते इस दिग्गज को अंतिम बार अलविदा कह रहे थे। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “अब कोई दूसरा जुबिन नहीं होगा।”

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