दिल्ली में बच्चों की सेहत खतरे में है। पहले सिर्फ बड़ों को होने वाला हाइपरटेंशन अब 5 से 9 साल के बच्चों को भी हो रहा है। “चिल्ड्रन इन इंडिया, 2025” नाम की एक नई रिपोर्ट ने चौंकाने वाली बातें बताई हैं। देश में हर तीन में से एक बच्चे के खून में चर्बी का स्तर ज्यादा है। दिल्ली में हाई ब्लड प्रेशर के मामले सबसे ज्यादा हैं। ये बच्चों के लिए भविष्य में दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है। जंक फूड, प्रदूषण और कम हिलना-डुलना इसके पीछे बड़े कारण हैं। आइए जानते हैं कि ये सब क्यों हो रहा है।
हाई ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या
रिपोर्ट कहती है कि 5 से 9 साल के बच्चों में हाई ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ रहा है। ये खून में पाई जाने वाली चर्बी है। अगर ये ज्यादा हो जाए, तो खून की नलियां सख्त हो सकती हैं। देश में 34 प्रतिशत बच्चे इस दिक्कत से जूझ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में 67 प्रतिशत, सिक्किम में 64.6 प्रतिशत, असम में 57 प्रतिशत, नागालैंड में 55.5 प्रतिशत और मणिपुर में 54.7 प्रतिशत बच्चे प्रभावित हैं। केरल में ये सिर्फ 16.6 प्रतिशत है। दिल्ली में भी ये आंकड़ा चिंता बढ़ाता है। ज्यादा ट्राइग्लिसराइड्स आगे चलकर हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी बीमारियां ला सकता है। डॉक्टर कहते हैं कि ये बच्चों की सेहत के लिए बड़ा खतरा है।
दिल्ली में बढ़ता हाइपरटेंशन
दिल्ली में बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर देश में सबसे ज्यादा है। डॉक्टरों का कहना है कि गलत लाइफस्टाइल इसकी बड़ी वजह है। बच्चे अब खेलने की बजाय फोन या टीवी पर समय बिताते हैं। बर्गर, पिज्जा और चिप्स जैसे जंक फूड का चलन बढ़ गया है। दिल्ली की हवा में प्रदूषण भी बहुत ज्यादा है। ये प्रदूषण खून की नलियों को नुकसान देता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। स्कूल में पढ़ाई का दबाव और माता-पिता की बड़ी उम्मीदें बच्चों को तनाव देती हैं। ये तनाव भी ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। ये सारी चीजें मिलकर छोटे बच्चों को बीमार बना रही हैं।
बच्चों में स्थिति
10 से 19 साल के किशोरों में हाई ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या थोड़ी कम है। इस उम्र में सिर्फ 16 प्रतिशत बच्चों में ये दिक्कत है। हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल भी सिर्फ 4 प्रतिशत बच्चों में है। लेकिन पश्चिम बंगाल में 42.5 प्रतिशत, सिक्किम में 39.4 प्रतिशत और मणिपुर में 38 प्रतिशत किशोर प्रभावित हैं। महाराष्ट्र में ये सिर्फ 6.4 प्रतिशत है। दिल्ली में किशोरों में भी हाइपरटेंशन की समस्या है। कम हिलना-डुलना, गलत खाना और तनाव इसके कारण हैं। अगर इन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आगे बड़ी परेशानी हो सकती है।
खानपान और लाइफस्टाइल
डॉक्टर बताते हैं कि जंक फूड में चर्बी और नमक ज्यादा होता है। ये खून में ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। इससे खून की नलियां सख्त हो जाती हैं। इसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं, जो दिल की बीमारी ला सकता है। बच्चे फल, सब्जियां और साबुत अनाज कम खाते हैं। कोल्ड ड्रिंक्स और मिठाई ज्यादा खाते हैं। दिल्ली में प्रदूषण और ट्रैफिक की वजह से बच्चे बाहर कम खेलते हैं। स्कूलों में खेल का समय भी कम है। ये सब बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है।
स्कूलों में जागरूकता की कमी
दिल्ली के सिर्फ 5 प्रतिशत स्कूल बच्चों का ब्लड प्रेशर नियमित चेक करते हैं। ज्यादातर बच्चों में हाइपरटेंशन का पता देर से चलता है। एक स्टडी में 3,888 बच्चों में से एक तिहाई में खून में चर्बी का स्तर गड़बड़ था। सरकारी स्कूलों में कुपोषण और प्राइवेट स्कूलों में मोटापा, दोनों ही समस्याएं हैं। माता-पिता को बच्चों के खाने पर ध्यान देना होगा। फल, सब्जियां और कम चर्बी वाला खाना देना जरूरी है। बच्चों को रोज एक घंटा खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
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