नई दिल्ली में एक बार फिर से लद्दाख से जुड़ा मामला चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट 6 अक्टूबर को सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की रिहाई से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है। यह याचिका उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो ने दायर की है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत की गई वांगचुक की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। गीतांजलि ने अदालत से अनुरोध किया है कि उनके पति को तत्काल रिहा किया जाए क्योंकि उन्हें गलत आरोपों के लिए जेल भेजा गया है।
पाकिस्तान से संपर्क के आरोपों को बताया झूठा, राष्ट्रपति से भी की अपील
गीतांजलि आंगमो ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके पति को राजनीतिक दबाव में फंसाया गया है और उन पर लगाए गए पाकिस्तान से संपर्क रखने के आरोप पूरी तरह झूठे और बेबुनियाद हैं। उन्होंने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी एक तीन पन्नों का पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपने पति की रिहाई के लिए हस्तक्षेप की अपील की है। पत्र में उन्होंने कहा कि वांगचुक को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे पिछले चार सालों से लद्दाख के लोगों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार आवाज उठा रहे हैं। गीतांजलि ने लिखा कि उनके पति ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी है, लेकिन सरकार ने उनके जनहित कार्यों को ‘विरोध’ का नाम दे दिया है।
लद्दाख में हिंसा के बाद गिरफ्तारी, जोधपुर जेल में हैं बंद
लद्दाख में सितंबर के आखिरी सप्ताह में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़कने के बाद प्रशासन ने सोनम वांगचुक को 24 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने स्थानीय लोगों को उकसाया और कानून-व्यवस्था बिगाड़ने में साथ दिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें राजस्थान के जोधपुर जेल भेज दिया गया, जहां वे फिलहाल बंद हैं। सरकार ने उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की है, जिससे उन्हें बिना मुकदमे के लंबे समय तक हिरासत में रखा जा सकता है। हालांकि, वांगचुक के समर्थकों का कहना है कि वे हिंसा के खिलाफ थे और केवल शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन कर रहे थे।
कौन हैं सोनम वांगचुक, जिनकी रिहाई की उठ रही मांग
सोनम वांगचुक सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि लद्दाख की उम्मीद का प्रतीक माने जाते हैं। वे एक इंजीनियर, नवप्रवर्तक और पर्यावरणविद् हैं, जिन्होंने लद्दाख के शिक्षा और विकास के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) की स्थापना की, जो स्थानीय छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा और टिकाऊ विकास की दिशा में प्रेरित करता है। वांगचुक को उनके ‘आइस स्तूप’ प्रोजेक्ट के लिए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है, जिसने रेगिस्तानी क्षेत्रों में जल संरक्षण का नया तरीका दिखाया।
अब जब वे जेल में हैं, देशभर में उनके समर्थन में आवाजें उठ रही हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या किसी पर्यावरण कार्यकर्ता को जनता के हित में बोलने की इतनी बड़ी सजा दी जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई से यह तय होगा कि सोनम वांगचुक को जल्द राहत मिलेगी या नहीं।
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