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देश के बाकी राज्यों में SIR कब होगा? मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिया बड़ा बयान

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार मॉडल पर अब देश के सभी राज्यों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू होगी।

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लोकतंत्र की जननी कहे जाने वाले बिहार से अब एक नई चुनावी पहल की शुरुआत हो रही है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने घोषणा की है कि बिहार में सफलतापूर्वक लागू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मॉडल को अब पूरे देश में लागू करने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार में 24 जून से इस प्रक्रिया की शुरुआत की थी, और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित करने की योजना बनाई गई है। आयोग का मानना है कि यह पहल न केवल मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी बनाएगी बल्कि निष्पक्ष चुनाव की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगी।

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तीनों चुनाव आयुक्त लेंगे फैसला

मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लेकर तीनों चुनाव आयुक्तों के बीच जल्द बैठक होगी। इस बैठक में विभिन्न राज्यों में SIR लागू करने की तारीखों और रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा। बिहार में चुनाव आयोग ने राज्य के अधिकारियों को पहले ही 30 सितंबर तक मतदाता सूची संशोधन के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया था। अब उसी मॉडल को अन्य राज्यों में लागू करने की रूपरेखा तैयार हो रही है। SIR का उद्देश्य है, अपात्र मतदाताओं के नाम हटाना और नए योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल करना। इसके लिए नागरिक फॉर्म-6 (नाम जोड़ने के लिए) और फॉर्म-7 (नाम हटाने के लिए) भर सकते हैं।

बिहार ने दिखाई राह, 22 साल बाद मतदाता सूची का शुद्धीकरण

ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार में 22 वर्षों के बाद पहली बार इतनी व्यापक स्तर पर मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण किया गया है। इससे पहले यह प्रक्रिया साल 2003 में हुई थी। इस बार राज्य के 243 निर्वाचन क्षेत्रों में नियुक्त EROs (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) और 90,207 बीएलओ (बूथ स्तर अधिकारी) ने मिलकर इस अभियान को सफल बनाया। उन्होंने कहा कि इस अभ्यास से न केवल पुराने और अपात्र नामों को हटाया गया, बल्कि उन नए मतदाताओं को भी जोड़ा गया जो अब तक सूचियों में शामिल नहीं थे। यह प्रक्रिया राज्य की मतदाता सूची को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाती है, जिससे चुनाव प्रक्रिया पर जनता का भरोसा और मजबूत होगा।

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आधार पहचान पत्र के रूप में मान्य, नागरिकता का प्रमाण नहीं

मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार आधार कार्ड को अब पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची सुधार की यह पहल चुनाव से पहले और मतदान के दौरान दोनों चरणों में प्रभावी रहेगी। चुनाव आयोग का मानना है कि बिहार से शुरू हुआ यह प्रयोग न केवल राज्य की मतदाता सूचियों को सटीक बनाएगा बल्कि यह पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल साबित होगा। जैसा कि ज्ञानेश कुमार ने कहा, “बिहार ने लोकतंत्र को जन्म दिया था, और अब वही लोकतंत्र को नई दिशा देने जा रहा है।”

Keywords: Election Commission Of India, Gyanesh Kumar, Bihar Voter List, SIR Process, Voter List Revision, Bihar Election Model

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