- Advertisement -

आरएसएस के 100 साल पूरे, पीएम मोदी ने जारी किया स्मारक सिक्का और डाक टिकट

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 100वीं वर्षगांठ पर नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में भव्य समारोह आयोजित हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने स्मारक डाक टिकट और विशेष सिक्का जारी कर संघ के राष्ट्र निर्माण में योगदान को सलाम किया।

6 Min Read

1 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली स्थित डॉक्टर अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर इतिहास का गवाह बना, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर भव्य आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने संघ की गौरवशाली यात्रा को राष्ट्र निर्माण की आधारशिला बताया। कार्यक्रम की शुरुआत दिवंगत संघ कार्यकर्ता विजय मल्होत्रा को श्रद्धांजलि देने से हुई। मोदी ने कहा कि संघ ने पिछले एक सदी में अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उसका मंत्र हमेशा “राष्ट्र प्रथम” ही रहा।

- Advertisement -
Ad image

पीएम मोदी ने जारी किया स्मारक डाक टिकट और सिक्का

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्मारक डाक टिकट और विशेष रूप से डिजाइन किया गया सिक्का जारी करना रहा। इस सिक्के पर एक तरफ राष्ट्रीय चिन्ह है, जबकि दूसरी ओर सिंहासन पर विराजमान भारत माता की छवि और संघ के कार्यकर्ता दर्शाए गए हैं। यह पहली बार है जब स्वतंत्र भारत की मुद्रा पर भारत माता की छवि अंकित हुई है। इसके साथ ही सिक्के पर संघ का बोधवाक्य भी लिखा गया है। मोदी ने कहा कि यह सिक्का केवल धातु का टुकड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्र चेतना और संघ की यात्रा का प्रतीक है।

संघ की स्थापना का मूल उद्देश्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना वर्ष 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। दशहरे के दिन शुरू हुआ यह संगठन सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी के मूल मंत्र पर टिका है। हेडगेवार का मानना था कि व्यक्ति निर्माण ही राष्ट्र निर्माण का मार्ग है। शाखा के जरिए साधारण से साधारण व्यक्ति को संगठनात्मक शक्ति और अनुशासन के माध्यम से असाधारण कार्य करने योग्य बनाया जा सकता है। यही कारण है कि संघ आज भी सामान्य कार्यकर्ताओं की एकजुटता से असाधारण योगदान देता आ रहा है।

- Advertisement -
Ad image

पीएम मोदी का संघ को लेकर दृष्टिकोण

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संघ ने कभी कटुता नहीं दिखाई। चाहे उस पर प्रतिबंध लगा हो या साजिशें रची गई हों, संघ ने हमेशा समाज को जोड़ने और राष्ट्र को मजबूत करने का काम किया। उन्होंने विभाजन की पीड़ा का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे संघ के स्वयंसेवक लाखों बेघर परिवारों के लिए राहत और सहारा बने। 1956 के अंजार भूकंप का उदाहरण देते हुए मोदी ने कहा कि स्वयंसेवकों ने हमेशा सबसे पहले सेवा और बचाव कार्यों में अपनी भूमिका निभाई।

दत्तात्रेय होसबोले का संदेश

कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य केवल संगठन निर्माण नहीं, बल्कि एक ऐसा भारत है जो राष्ट्रीय सुरक्षा, समरसता, स्वदेशी और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देता है। होसबोले ने बताया कि संघ के स्वयंसेवक हर कोने में मौजूद रहते हैं और उनका काम ही समाज को संघ से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा शताब्दी वर्ष पर डाक टिकट और सिक्का जारी करना लाखों स्वयंसेवकों के लिए गर्व और आनंद का विषय है।

संघ की विचारधारा और राष्ट्र निर्माण

मोदी ने अपने भाषण में संघ की विचारधारा को नदी से तुलना करते हुए कहा कि जैसे नदी कई धाराओं में बंटकर अलग-अलग क्षेत्रों को पोषित करती है, वैसे ही संघ की विभिन्न शाखाएं समाज के अलग-अलग हिस्सों में राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि संघ वह भूमि है, जहां “अहं” से “वयं” की यात्रा शुरू होती है और यही समाज को जोड़ने की शक्ति देता है। शाखा केवल अनुशासन का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक विकास का माध्यम भी है।

शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम

संघ अपना शताब्दी वर्ष 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक मनाएगा। इस दौरान देशभर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। पहला आयोजन विजयादशमी उत्सव होगा, जिसमें बस्ती और मंडल स्तर पर गणवेशधारी स्वयंसेवक और उनके परिवार भाग लेंगे। इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल से होगी। इस अवसर पर संघ के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति और राष्ट्र सेवा के संकल्प को नए सिरे से प्रकट किया जाएगा।

ऐतिहासिक महत्व और भविष्य की दिशा

आरएसएस के 100 साल पूरे होना केवल संगठन की उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक यात्रा का महत्वपूर्ण अध्याय है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि “अन्याय पर न्याय और अंधकार पर प्रकाश की जीत” भारतीय संस्कृति का मूल विचार है, और RSS इसी विचार का जीवंत स्वरूप है। शताब्दी वर्ष केवल अतीत का उत्सव नहीं, बल्कि आने वाले भविष्य के लिए एक नई प्रेरणा है। संघ ने “व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण” का जो मार्ग चुना था, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है और आने वाले वर्षों में भारत की नई पीढ़ी को मार्गदर्शन देता रहेगा।

KeywordsRss 100 Years, Rashtriya Swayamsevak Sangh, Commemorative Coin, Postage Stamp, Ambedkar International Centre, Dattatreya Hosabale, Keshav Baliram Hedgewar, India Cultural Organization

Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

- Advertisement -

- Advertisement -

- Advertisement -

लेटेस्ट
चुटकी शॉट्स
वीडियो
वेबस्टोरी
मेन्यू