नागपुर में आज का दिन बहुत खास था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने रेशीमबाग मैदान पर विजयादशमी मनाई। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की। इस बार उत्सव और खास था क्योंकि संगठन अपनी सौ साल की सालगिरह मना रहा है। माहौल में जोश और भक्ति थी। लोग उत्साहित थे।
शस्त्र पूजा का मतलब
शस्त्र पूजा आरएसएस की पुरानी परंपरा है। इसमें हथियारों की पूजा होती है, जो देश की रक्षा का प्रतीक है। इस बार पारंपरिक हथियारों के साथ पिनाका एमके-1, पिनाका एन्हांस और ड्रोन के मॉडल रखे गए। ये भारतीय सेना के मजबूत हथियार हैं। पिनाका एक रॉकेट लॉन्चर है, जो लंबी दूरी तक मार करता है। रेशीमबाग मैदान, जो आरएसएस का मुख्यालय है, इन मॉडलों से सजा था। मोहन भागवत ने पूजा की और राष्ट्र रक्षा का संदेश दिया।
सौ वर्षों से सब प्रकार की परिस्थितियों में आग्रहपूर्वक इस व्यवस्था को संघ के स्वयंसेवकों के द्वारा सतत चलाया गया है और आगे भी ऐसे ही चलाना है ।इसलिए स्वयंसेवकों को नित्य शाखा के कार्यक्रमों को मन लगाकर करते हुए अपनी आदतों में परिवर्तन करने की साधना करनी पड़ती है। व्यक्तिगत… pic.twitter.com/McDqv4SJFU
— RSS (@RSSorg) October 2, 2025
बड़े मेहमान
कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि थे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी आए। सबने मोहन भागवत का भाषण सुना। कार्यक्रम में सादगी और अनुशासन था, जो आरएसएस की पहचान है।
सौ साल का जश्न
आरएसएस इस साल 1925 से शुरू अपनी सौ साल की यात्रा मना रहा है। विजयादशमी इस जश्न का हिस्सा था। पिनाका और ड्रोन मॉडल ने युवाओं को प्रेरित किया। ये मॉडल दिखाते हैं कि भारत की सेना कितनी ताकतवर है। मोहन भागवत ने कहा कि यह देश की सुरक्षा का प्रतीक है।
उत्सव का माहौल
रेशीमबाग मैदान सुबह से भरा था। स्वयंसेवक अपनी वर्दी में तैयार थे। मोहन भागवत ने पूजा शुरू की और हथियारों पर फूल चढ़ाए। पिनाका और ड्रोन मॉडल देखकर लोग खुश हुए। यह पूजा शांतिपूर्ण रही और सबने इसका आनंद लिया।
वीडियो की लोकप्रियता
शस्त्र पूजा के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। उनमें मोहन भागवत को पूजा करते और पिनाका मॉडल देखा जा सकता है। लोग इसे खूब शेयर कर रहे हैं। यह वीडियो भारतीय सेना की ताकत दिखाते हैं।
राष्ट्र रक्षा का संदेश
विजयादशमी आरएसएस का स्थापना दिवस है। शस्त्र पूजा से युवाओं को देश की रक्षा का संदेश मिलता है। मोहन भागवत का नेतृत्व संगठन को मजबूत करता है। यह उत्सव सौ साल के जश्न को यादगार बनाता है।
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