ITR फाइल करने के बाद उसका ई-वैरिफिकेशन करना बहुत जरूरी है। आयकर विभाग के नियमों के अनुसार, अगर आपने रिटर्न फाइल करने के 30 दिनों के भीतर ई-वैरिफिकेशन नहीं किया, तो आपका रिटर्न अमान्य हो सकता है। ई-वैरिफिकेशन के बिना रिफंड की प्रक्रिया शुरू नहीं होती। यह प्रक्रिया आधार OTP, नेट बैंकिंग या डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के जरिए आसानी से की जा सकती है। अगर आपने यह कदम छोड़ दिया, तो रिफंड में देरी होना तय है।
गलत बैंक डिटेल्स का मसला
रिफंड में देरी की एक बड़ी वजह गलत बैंक डिटेल्स भी हो सकती है। कई बार टैक्सपेयर्स बैंक खाता नंबर या IFSC कोड गलत भर देते हैं। अगर आपका बैंक खाता प्री-वैलिडेटेड नहीं है या खाते का नाम आपके PAN कार्ड से मेल नहीं खाता, तो रिफंड अटक सकता है। आयकर विभाग रिफंड सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर करता है, इसलिए सही और सक्रिय बैंक डिटेल्स देना जरूरी है।
रिटर्न में गलतियां
कई बार ITR में गलतियां भी रिफंड में देरी का कारण बनती हैं। अगर आपके रिटर्न में आय, TDS या अन्य जानकारी फॉर्म 26AS या एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) से मेल नहीं खाती, तो आयकर विभाग रिटर्न की जांच करता है। इस जांच में समय लग सकता है। अगर रिटर्न में कोई गलती पाई जाती है, तो आपको रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करना पड़ सकता है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही रिफंड की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
अलग-अलग ITR का समय
रिफंड का समय इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपने कौन सा ITR फॉर्म भरा है। ITR-1 फाइल करने वालों को आमतौर पर 10 से 15 दिन में रिफंड मिल जाता है। ITR-2 के लिए 20 से 45 दिन और ITR-3 के लिए 30 से 60 दिन तक का समय लग सकता है। अगर इस समय के बाद भी रिफंड नहीं आता, तो आपको आयकर विभाग से संपर्क करना चाहिए।
रिफंड की स्थिति कैसे जांचें
अगर आपका रिफंड देरी से आ रहा है, तो आप आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर रिफंड की स्थिति जांच सकते हैं। इसके लिए आपको अपने PAN, पासवर्ड और कैप्चा कोड के साथ लॉगिन करना होगा। इसके बाद ‘My Account’ में जाकर ‘Refund/Demand Status’ पर क्लिक करें। अगर रिफंड में कोई दिक्कत है, तो आप आयकर विभाग के हेल्पलाइन नंबर 1800-103-4455 पर कॉल कर सकते हैं या ask@incometax.gov.in पर ईमेल भेज सकते हैं।
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