शारदीय नवरात्रि 2025 का आठवां दिन 30 सितंबर को है। इस दिन माँ दुर्गा के आठवें रूप माँ महागौरी की पूजा होती है। इसे महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी कहते हैं। ये दिन बहुत खास है, क्योंकि माँ महागौरी की भक्ति से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। माँ का स्वरूप शांत और सुंदर है। उनकी पूजा से घर में सुख, शांति और धन आता है। आइए, माँ महागौरी की कथा, पूजा का समय, मंत्र और भोग की पूरी जानकारी जानते हैं।
माँ महागौरी का पवित्र स्वरूप
माँ महागौरी का रंग बिल्कुल गोरा है, जैसे चाँद या शंख। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बर धरा कहते हैं। माँ बैल पर सवार होती हैं, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहते हैं। उनके चार हाथ हैं। दाहिने हाथ में त्रिशूल और अभय मुद्रा होती है, जबकि बाएँ हाथ में डमरू और शांति मुद्रा होती है। माँ का ये रूप बहुत पवित्र और शांत है। जो लोग धन, सुख या शांति चाहते हैं, उन्हें इस दिन माँ की पूजा जरूर करनी चाहिए। माँ की कृपा से सारे डर और दुख खत्म हो जाते हैं।
पूजा का सही समय
30 सितंबर 2025 को अष्टमी तिथि सुबह 4:32 बजे शुरू होगी और शाम 6:07 बजे खत्म होगी। पूजा के लिए सबसे अच्छा समय अभिजीत मुहूर्त है, जो सुबह 11:47 से दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा करने से माँ की कृपा मिलती है। राहु काल दोपहर 3:09 से 4:39 बजे तक रहेगा, इस समय पूजा न करें। पूजा करते वक्त पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करें। अगर अष्टमी पर पूजा न हो सके, तो नवमी तिथि यानी 1 अक्टूबर को सुबह 10:41 से 12:11 बजे तक पूजा कर सकते हैं।
माँ महागौरी की पौराणिक कथा
पुरानी कथाओं के अनुसार, माँ महागौरी ने भगवान शिव को पति बनाने के लिए कई साल तक कठिन तपस्या की। इस तपस्या से उनके शरीर पर धूल जम गई और उनकी त्वचा काली हो गई। उनकी सच्ची भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी बनाया। शिव जी ने गंगा जल से माँ के शरीर को धोया, जिससे उनका रंग फिर से गोरा और चमकदार हो गया। इसीलिए उन्हें महागौरी कहते हैं। ये कथा हमें सच्ची भक्ति और मेहनत का महत्व सिखाती है।
माँ को चढ़ाएं ये भोग
माँ महागौरी को नारियल बहुत पसंद है। इस दिन उन्हें नारियल, नारियल की बर्फी या लड्डू का भोग लगाएं। ये भोग माँ को खुश करता है और भक्तों को सुख देता है। माँ का पसंदीदा फूल मोगरा है। मोगरे की माला या फूल चढ़ाएं। पूजा में साफ और सात्विक चीजें इस्तेमाल करें। भोग चढ़ाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में परिवार और गरीबों में बांटें। इससे घर में अच्छी ऊर्जा आती है।
माँ के मंत्र और जाप
माँ महागौरी की पूजा में मंत्र जाप बहुत फायदेमंद है। पहला मंत्र है: “ॐ देवी महागौर्यै नमः।” दूसरा मंत्र है: “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते।” तीसरा मंत्र है: “श्वेते वृषेसमारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः, महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा।” इन मंत्रों का 108 बार जाप करें। जाप के लिए कमल गट्टे या रुद्राक्ष की माला लें। मंत्र जाप से मन शांत होता है और माँ की कृपा मिलती है।
आरती और कन्या पूजन
माँ महागौरी की आरती से पूजा पूरी होती है। आरती में गाएं: “जय महागौरी जगत की माया, जय उमा भवानी जय महामाया।” इसके बाद कन्या पूजन करें। नौ छोटी बच्चियों को माँ का रूप मानकर बुलाएं। उनके पैर धोएं, टीका लगाएं और भोजन कराएं। हलवा, पूड़ी और चने का भोग परोसें। बच्चियों को मिठाई, फल या कपड़े दें। ये पूजा माँ को खुश करती है और घर में खुशहाली लाती है।
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