21 सितंबर 2025 की रात्रि 10 बजकर 59 मिनट से 22 सितंबर की सुबह 3 बजकर 23 मिनट तक साल का आखिरी सूर्य ग्रहण रहेगा। इसकी कुल अवधि लगभग 4 घंटे 24 मिनट की होगी। अमावस्या के दिन ही सूर्य ग्रहण लगता है क्योंकि इस समय चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है। हालांकि हर अमावस्या पर ग्रहण नहीं लगता, क्योंकि चंद्रमा की कक्षा में झुकाव के कारण यह स्थिति हर बार नहीं बन पाती। इस बार सूर्य कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में रहेंगे, जिससे यह ग्रहण विशेष माना जा रहा है। खगोलीय दृष्टि से यह घटना न्यूजीलैंड, फिजी, टोंगा, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर व अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों से दिखाई देगी, लेकिन भारत में यह दृश्य नहीं होगा।
धार्मिक मान्यता और सूतक काल
सूर्य ग्रहण के समय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कई नियम और परंपराएं मानी जाती हैं। ग्रहण का सूतक काल आमतौर पर 12 घंटे पहले से शुरू हो जाता है, जो ग्रहण समाप्त होने तक चलता है। इस आधार पर 21 सितंबर को सुबह 11 बजे से 22 सितंबर की सुबह 3 बजकर 23 मिनट तक सूतक काल रहेगा। हालांकि भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। फिर भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय सावधानियां बरतना और मंत्रों का जप करना लाभकारी माना जाता है। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ, भोजन पकाना और शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है, लेकिन ध्यान और मंत्रोच्चारण करना सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
ज्योतिषीय प्रभाव और उसके उपाय
ज्योतिषियों के अनुसार, यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि में लगने वाला है। ग्रहों की स्थिति के चलते मेष, वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु और मकर राशि के जातकों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन जातकों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने और बड़े निर्णयों से परहेज करने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र और सूर्य मंत्र का जप करने की सिफारिश की जाती है। इसके अलावा भगवान शिव और विष्णु के मंत्रों का उच्चारण भी लाभकारी रहता है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार, ग्रहण काल में गेहूं, गुड़, चावल और लाल वस्त्र का दान करने से सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
बरतनी चाहिए ये सावधानियां
ग्रहण काल में पारंपरिक रूप से कई नियम अपनाए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जाती है। घर के मंदिर को लाल या पीले कपड़े से ढकने और मूर्तियों को न छूने की परंपरा है। ग्रहण काल में सोना, खाना पकाना और नए काम की शुरुआत करना अशुभ माना जाता है। हालांकि छोटे बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर भोजन संबंधी पाबंदी लागू नहीं होती। 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के साथ ही सर्वपितृ अमावस्या भी है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त अन्न और वस्त्र का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। इस प्रकार यह खगोलीय घटना न केवल विज्ञान और ज्योतिष के लिहाज से, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है।
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