विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने हाल ही में एक परामर्श जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि नवरात्र के दौरान आयोजित होने वाले गरबा कार्यक्रमों में केवल हिंदू ही प्रवेश कर सकते हैं। साथ ही, उन्होंने आयोजकों को सलाह दी कि वे प्रवेश के समय लोगों की पहचान के लिए आधार कार्ड जैसी पुष्टि करें ताकि ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाओं से बचा जा सके। VHP के एक नेता ने स्पष्ट रूप से कहा कि गैर-हिंदुओं को गरबा में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। इस आदेश ने तुरंत ही व्यापक विवाद को जन्म दिया। कई लोगों ने इसे धार्मिक असहिष्णुता और सामाजिक विभाजन की दिशा में एक गंभीर कदम माना।
रामदास आठवले का विरोध
केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI-A) के प्रमुख रामदास आठवले ने VHP के इस आदेश का कड़ा विरोध किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि यह कदम केवल आयोजकों को निर्देश देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे कट्टरपंथी तत्व हिंसा भड़काने का बहाना पा सकते हैं। आठवले ने सवाल उठाया कि “विश्व हिंदू परिषद कौन होता है यह तय करने वाला कि कौन गरबा में जाएगा और कौन नहीं?” उनके अनुसार, गरबा केवल पूजा का एक माध्यम है, न कि किसी सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन के लिए भेदभाव का आधार।
मैं कड़ी निंदा करता हूँ! विश्व हिंदू परिषद कौन होती है तय करने वाली कि गरबा में कौन जाएगा और कौन नहीं?#SayNoToDiscrimination #Navratri2025 #VHPControversy #GarbaForAll
— Dr.Ramdas Athawale (@RamdasAthawale) September 21, 2025
धार्मिक सौहार्द और एकता पर खतरा
रामदास आठवले ने स्पष्ट किया कि नवरात्र केवल एक धार्मिक उत्सव और आनंद का त्योहार है। उन्होंने कहा कि VHP द्वारा जारी की गई यह सलाह भारत की विविधता और धार्मिक सहिष्णुता के मूल सिद्धांतों पर चोट करती है। उन्होंने आगाह किया कि यदि इस आदेश के कारण कहीं भी झड़प, हमला या धार्मिक संघर्ष होता है, तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह VHP और उससे जुड़े संगठनों पर होगी। आठवले ने कहा कि इस तरह के कदम समाज में अविश्वास और नफरत का वातावरण पैदा करते हैं और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद द्वारा जारी की गई नवरात्रि 2025 की एडवाइजरी देश की सामाजिक समरसता के लिए एक गंभीर खतरा है। यह केवल आयोजकों को निर्देश देने तक सीमित नहीं है, बल्कि कुछ कट्टरपंथी तत्वों को हिंसा भड़काने और जबरदस्ती करने का खुला निमंत्रण है। यदि इस एडवाइजरी के चलते देश में कहीं भी…
— Dr.Ramdas Athawale (@RamdasAthawale) September 21, 2025
नवरात्री नफरत नहीं, सौहार्द का त्योहार
रामदास आठवले ने नवरात्र के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह समय पूजा, श्रद्धा और सामाजिक मिलन का है। उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय को इस अवसर पर भेदभाव का शिकार नहीं होना चाहिए। आठवले ने VHP के आदेश को “निंदनीय” करार देते हुए सभी नागरिकों से अपील की कि वे त्योहार का आनंद बिना किसी भेदभाव और हिंसा के मनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों में सामूहिक सद्भाव बनाए रखना ही समाज की वास्तविक ताकत है।
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