दिल्ली में आवश्यक खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले वाहनों को अब हरित शुल्क यानी Environment Compensation Charge- ECC से छूट नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 10 साल से जारी इस रियायत को समाप्त करने का आदेश दिया है। इसका असर दिल्ली में दूध, सब्जी, फल, अंडा आदि आवश्यक वस्तुएं लाने वाले वाहनों पर पड़ेगा, जिन्हें अब अन्य व्यावसायिक वाहनों की तरह ही हरित शुल्क देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति विनोद के. चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजरिया की पीठ ने दिल्ली नगर निगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि यह छूट अब लागू नहीं रहेगी, क्योंकि इसके कारण पर्यावरणीय, प्रशासनिक और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं।
पहले क्या था नियम?
दिल्ली में 9 अक्टूबर 2015 से आवश्यक खाद्य वस्तुएं (दूध, अंडा, सब्जी, फल आदि) लाने वाले वाहनों को हरित शुल्क से छूट दी गई थी। इसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में कोई बाधा न आए और उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना न करना पड़े।
MCD की दलील क्या थी?
MCD ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि रोजाना 45 हजार से 50 हजार वाहन दिल्ली की सीमा में आवश्यक खाद्य वस्तुएं लेकर आते हैं। इन वाहनों की जांच के लिए 156 चेक पोस्ट बनाए गए हैं।
वाहनों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी खत्म
हर वाहन की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कर यह तय किया जाता है कि वह वास्तव में आवश्यक वस्तुएं ही लेकर आ रहा है या नहीं। इस प्रक्रिया से ट्रैफिक जाम, प्रशासनिक अड़चनें और राजस्व की हानि होती है। यही नहीं, कई बार वाहन चालकों के गलत दावे भी जांच में सामने आते हैं, जिससे ECC शुल्क की वसूली मुश्किल होती है और रिफंड प्रक्रिया लंबी चलती है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क इतना अधिक न हो कि उसका सीधा बोझ आम जनता पर पड़े और आवश्यक वस्तुएं महंगी हो जाएं। राज्य सरकार और नगर निगम को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस शुल्क का निर्धारण संतुलित हो।
बदलाव से क्या असर होगा?
यानी अब कोई छूट नहीं है और सभी तरह के मालवाहक व्यावसायिक वाहनों से ECC वसूला जाएगा, चाहे वे आवश्यक वस्तुएं ही क्यों न ला रहे हों।
जांच और वीडियोग्राफी खत्म
अब वाहन की जांच की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे जाम की समस्या में कमी आएगी।
राजस्व वृद्धि
MCD को ECC शुल्क से अब ज्यादा राजस्व मिलेगा जो शहरी पर्यावरण सुधार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
संभावित महंगाई
खाद्य वस्तुओं की ढुलाई लागत बढ़ सकती है, जिससे कीमतों पर असर हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक तरफ जहां पर्यावरण सुधार और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देने की दिशा में कदम है, वहीं दूसरी ओर यह जरूरी है कि इससे आम जनता को महंगाई का भार न उठाना पड़े। अब देखने वाली बात होगी कि दिल्ली सरकार और नगर निगम इस फैसले को कैसे लागू करती है और जनता पर इसका कितना असर पड़ेगा।
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