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घर खरीदने वालों के लिए चेतावनी: जानिए कैसे बिल्डर और बैंक मिलकर करते हैं बड़ा घोटाला

देशभर में बिल्डर और बैंक की मिलीभगत से घर खरीदारों का शोषण हो रहा है, दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में 1200 से ज्यादा शिकायतें आईं, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए, सबवेंशन स्कीम कैसे बन गई लूट का जरिया।

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आजकल घर खरीदना हर आम आदमी का सपना होता है। लेकिन कुछ बिल्डर और बैंक मिलकर इस सपने को बुरा सपना बना देते हैं। हजारों लोग अपना पैसा लगाकर घर की उम्मीद में इंतजार करते रहते हैं। लेकिन उन्हें न तो फ्लैट मिलता है और न ही उनका पैसा वापस आता है। ऊपर से बैंक की किस्तें चुकानी पड़ती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या को देखते हुए सीबीआई को छह नए मुकदमे दर्ज करने का आदेश दिया है। दिल्ली-एनसीआर और देश के दूसरे शहरों से 1200 से ज्यादा खरीदारों की शिकायतें आई हैं। ये लोग बताते हैं कि बिल्डरों ने उन्हें झूठे वादे करके फंसा लिया।

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सबवेंशन स्कीम की असली सच्चाई

सबवेंशन स्कीम सुनने में अच्छी लगती है। इसमें बिल्डर कहता है कि वह कुछ समय तक लोन का ब्याज या किस्त खुद भरेगा। इससे खरीदार को लगता है कि घर सस्ता पड़ रहा है। बैंक लोन की पूरी रकम बिल्डर को दे देता है। खरीदार खुश हो जाता है क्योंकि शुरुआत में उसे कम पैसे देने पड़ते हैं। लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब बिल्डर पैसा लेकर गायब हो जाता है। प्रोजेक्ट अधूरा रह जाता है। फिर बैंक खरीदार से पैसे मांगने लगता है। खरीदार सोचता है कि उसने तो घर नहीं लिया, फिर किस्त क्यों चुकाए। लेकिन बैंक कहता है कि लोन तुम्हारे नाम पर है। इस तरह लोग दोहरी मार झेलते हैं।

बिल्डर और बैंक के बीच छिपी डील

बिल्डरों को अपना प्रोजेक्ट बेचने के लिए बैंक का साथ चाहिए। वे बैंक के अधिकारियों को रिश्वत देते हैं। कभी कमीशन, कभी फ्लैट या दूसरी चीजें। बैंक वाले बिना सोचे-समझे प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे देते हैं। खरीदार को बताया जाता है कि यह बैंक द्वारा मंजूर है। इससे खरीदार को भरोसा हो जाता है। लेकिन अंदर की बात ये है कि प्रोजेक्ट के कागजात झूठे होते हैं। जमीन पर विवाद होता है। या निर्माण की मंजूरी ही नहीं होती। बैंक वाले जानते हैं लेकिन आंखें बंद कर लेते हैं। इस मिलीभगत से बिल्डर पैसा लेकर भाग जाते हैं। बैंक को अपना पैसा चाहिए तो वे खरीदार पर दबाव बनाते हैं।

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खरीदार कैसे बनते हैं शिकार

खरीदार घर का सपना देखकर लोन लेता है। वह सोचता है कि सबवेंशन स्कीम से फायदा होगा। लेकिन बिल्डर लोन का पैसा लेकर दूसरे कामों में लगा देता है। प्रोजेक्ट रुक जाता है। कभी-कभी एक ही फ्लैट कई लोगों को बेच दिया जाता है। खरीदार को पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है। वह कोर्ट जाता है लेकिन मामला लंबा चलता है। इस बीच EMI चलती रहती है। कुछ बिल्डर घर की कीमत ज्यादा दिखाते हैं। इससे खरीदार को लगता है कि वह अच्छा सौदा कर रहा है। लेकिन सच निकलता है तो सब कुछ बर्बाद हो जाता है। दिल्ली-एनसीआर में ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं जहां लोग सालों से इंतजार कर रहे हैं।

बैंकों की नियमों की अनदेखी

आरबीआई और एनएचबी ने लोन देने के लिए सख्त नियम बनाए हैं। प्रोजेक्ट की जांच होनी चाहिए। लोन की रकम निर्माण के साथ-साथ दी जानी चाहिए। लेकिन बैंक सबवेंशन स्कीम में पूरा पैसा पहले दे देते हैं। कभी फर्जी नामों पर लोन पास हो जाते हैं। असली खरीदार फंस जाता है। बैंक वाले जानते हैं कि बिल्डर भरोसेमंद नहीं लेकिन फिर भी साथ देते हैं। इससे पूरा सिस्टम खराब हो जाता है। खरीदारों का भरोसा टूटता है। वे सोचते हैं कि बैंक सुरक्षित है लेकिन हकीकत अलग होती है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

सुप्रीम कोर्ट इस घोटाले से नाराज है। पहले सुपरटेक जैसे 22 मामलों में सीबीआई जांच शुरू हो चुकी है। एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट से पता चला कि सुपरटेक ने 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा लोन लिए थे। अब छह नए मामले सामने आए हैं। इनमें देश के अलग-अलग शहर शामिल हैं। सीबीआई इनकी जांच कर रही है। खरीदारों को उम्मीद है कि न्याय मिलेगा। लेकिन अभी वे EMI चुकाते रहते हैं। बिना घर मिले। यह समस्या बड़ी है और हजारों परिवार प्रभावित हैं।

Keywords:Builder-bank Nexus, Home Buyer Fraud, Subvention Scheme Scam, Supreme Court Cbi Investigation, Real Estate Fraud

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