अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में रूस को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा है। उनका कहना है कि भारत अमेरिका का करीबी साझेदार होने के बावजूद रूसी तेल की खरीद जारी रखे हुए है, जिस पर अंकुश लगाने के लिए यह कदम उठाया गया। भारत ने इस फैसले को “अन्यायपूर्ण और अनुचित” बताते हुए कड़ा विरोध जताया है। यही वजह है कि दोनों देशों के रिश्तों में इस मुद्दे को लेकर तनाव साफ झलक रहा है।
रूस पर दबाव या यूरोप की जिम्मेदारी?
रुबियो ने अमेरिकी टीवी शो गुड मॉर्निंग अमेरिका में दिए इंटरव्यू में यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप केवल भारत ही नहीं बल्कि यूरोप से भी रूस पर दबाव बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं। उनके अनुसार, यूरोप के कई देश अब भी रूसी तेल और प्राकृतिक गैस पर निर्भर हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध को ईंधन प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि अमेरिकी प्रशासन यूरोपीय देशों पर कड़ा रुख अपनाने की तैयारी में है। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि ट्रंप ने रूस के खिलाफ सीधे ठोस कदम क्यों नहीं उठाए, तो उन्होंने घुमाफिरा के जवाब दिया और सीनेटर लिंडसे ग्राहम के उस प्रस्ताव का जिक्र किया जिसमें रूस से ऊर्जा खरीदने पर भारत और चीन पर टैरिफ लगाने की बात थी।
यूक्रेन संकट और भविष्य की सुरक्षा गारंटी
मार्को रुबियो ने आगे कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप की कोशिश केवल टैरिफ तक सीमित नहीं है। अलास्का में ट्रंप और पुतिन की बैठक के बाद यूरोपीय नेताओं ने वॉशिंगटन में मुलाकात कर यूक्रेन युद्ध के बाद की स्थिति पर चर्चा की थी। उन्होंने दावा किया कि भविष्य में यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक खाका तैयार किया जा रहा है और इसमें काफी प्रगति हुई है। उनका मानना है कि किसी भी शांति समझौते के लिए यह सुरक्षा गारंटी बेहद महत्वपूर्ण होगी। यानी अमेरिका केवल मौजूदा युद्ध को रोकने की दिशा में नहीं बल्कि युद्ध के बाद स्थिरता स्थापित करने की भी योजना बना रहा है।
रुबियो-जयशंकर मुलाकात, रिश्तों को संभालने की कोशिश
इन सभी घटनाक्रमों के बीच, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान मार्को रुबियो और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मुलाकात खास मायने रखती है। करीब एक घंटे चली इस बैठक में व्यापार, ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर चर्चा हुई। जयशंकर ने मुलाकात के बाद कहा कि दोनों देशों ने आपसी संवाद को जारी रखने और प्राथमिक क्षेत्रों में प्रगति सुनिश्चित करने पर सहमति जताई है। वहीं अमेरिकी विदेश विभाग ने भी भारत को “बेहद महत्वपूर्ण साझेदार” बताया। इससे साफ है कि मतभेदों के बावजूद दोनों देशों की कोशिश रिश्तों को संतुलित बनाए रखने की है, ताकि बड़े रणनीतिक हित प्रभावित न हों।
Keywords – India-US Relations, Marco Rubio, Donald Trump, Russia-Ukraine War, Russian Oil Imports, Unfair Trade Practices, US-India Tensions, S. Jaishankar Meeting, UNGA 80th Session