4 अक्टूबर 2025 को विश्व पशु दिवस की 100वीं सालगिरह है। इस बार की थीम “जानवरों को बचाओ, धरती को बचाओ” हर इंसान को यह सोचने पर मजबूर करती है कि जानवरों की देखभाल से हमारी धरती को कितना फायदा हो सकता है। जर्मनी के हेनरिक जिमरमैन ने 1925 में इस दिन की शुरुआत की थी। उनका मकसद था कि दुनिया में हर जगह लोग जानवरों के हक की बात करें। आज लाखों लोग इस दिन को खास अंदाज में मनाते हैं। स्कूल, संगठन और सरकारें मिलकर जागरूकता फैलाती हैं।
कैसे पड़ा इस दिन का नाम
हेनरिक जिमरमैन ने 1925 में बर्लिन में पहला पशु दिवस मनाया। उस दिन 5000 से ज्यादा लोग स्पोर्ट पैलेस में इकट्ठा हुए। हेनरिक को जानवरों से बहुत प्यार था और वो चाहते थे कि हर कोई उनके लिए लड़े। पहले ये दिन 24 मार्च को मनाया जाता था, लेकिन 1929 में इसे 4 अक्टूबर को शिफ्ट किया गया। ये तारीख सेंट फ्रांसिस ऑफ असिसी से जुड़ी है, जिन्हें जानवरों का सच्चा दोस्त माना जाता है। 1931 में फ्लोरेंस में इसे दुनिया भर में मान्यता मिली। तब से ये दिन हर साल और बड़ा होता जा रहा है।
जानवरों की नई प्रजातियां और खतरे
इस साल कई नई प्रजातियां सामने आईं। अफ्रीका में लाइगोडैक्टिलस करामोजा ड्वार्फ गेको और हिमालय में हिमालयन आईबेक्स मिला। भारत में लिरियोथेमिस अब्राहामी ड्रैगनफ्लाई की खोज हुई। पेरू में ब्लॉब-हेडेड फिश और समुद्र में बाथोमास विडी सी बग भी देखा गया। सबसे बड़ा जानवर ब्लू व्हेल है, जिसका वजन 400,000 पाउंड और लंबाई 98 फीट तक होती है। सबसे लंबा जीव साइफोनोफोर है, जो 150 फीट से ज्यादा लंबा हो सकता है। लेकिन कुछ जानवर खतरे में हैं। वाक्विता, जिसकी संख्या अब 10 से भी कम है, सबसे दुर्लभ है। जावन राइनो, अमूर लेपर्ड, साओला और सुंडा टाइगर भी खतरे में हैं।
दुनिया भर में जश्न और जिम्मेदारी
विश्व पशु दिवस दुनिया के हर कोने में मनाया जाता है। लोग जागरूकता कैंपेन चलाते हैं और वन्यजीवों को बचाने के लिए काम करते हैं। स्कूलों में बच्चे जानवरों की कहानियां सुनते हैं और उनकी देखभाल सीखते हैं। संगठन शिकार रोकने और जंगलों को बचाने की बात करते हैं। सरकारें जानवरों के लिए सख्त कानून बनाने पर जोर देती हैं। 100 साल बाद भी हेनरिक जिमरमैन का सपना जिंदा है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि जानवर और इंसान एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।
क्या कर सकते हैं हम
विश्व पशु दिवस हमें मौका देता है कि हम जानवरों के लिए कुछ करें। उनकी रक्षा करना हमारी धरती को बचाने जैसा है। इस साल की थीम हमें बताती है कि हर छोटा कदम मायने रखता है। चाहे वो जंगल बचाना हो या जानवरों के साथ दया करना, हर काम धरती को हरा-भरा रखने में मदद करता है।
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