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आखिरी बार अपनों की आवाज़ भी नहीं सुनने दी, 73 साल की हरजीत कौर को बेड़ियों से बांधकर अमेरिका ने इंडिया भेजा

अमेरिका में तीन दशकों से अधिक समय बिताने वाली 73 वर्षीय हरजीत कौर को हाल ही में अचानक निर्वासित कर भारत भेज दिया गया। उनकी यात्रा, गिरफ्तारी और इलाज से वंचित रखने की घटनाओं ने अमेरिकी प्रशासन के रवैये और प्रवासी भारतीयों की असुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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1991 में पंजाब की राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, पति के निधन के बाद हरजीत कौर अपने दो नन्हें बेटों के साथ अमेरिका पहुंचीं। वहां उन्होंने सिलाई का काम किया, कर चुकाया और गुरुद्वारों में सेवा भी की। उनके करीबियों के मुताबिक, वह एक जिम्मेदार नागरिक की तरह जीती रहीं। उन्होंने शरण (Asylum) के लिए आवेदन भी किया, लेकिन 2005 में यह खारिज कर दिया गया। अंतिम अपील 2012 में असफल रही। इसके बावजूद कौर लगातार अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग के नियमों का पालन करती रहीं चेक-इन करातीं, वर्क परमिट नवीनीकृत करतीं और परिवार के साथ साधारण जीवन जीती रहीं।

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अचानक गिरफ्तारी और निर्वासन का सफर

8 सितंबर 2025 को जब कौर नियमित चेक-इन के लिए सैन फ्रांसिस्को स्थित ICE दफ़्तर गईं, उन्हें वहीं हिरासत में ले लिया गया। अगले दो हफ्तों तक उन्हें फ़्रेस्नो और बेकर्सफ़ील्ड की डिटेंशन सुविधाओं में रखा गया, जहां परिवार का आरोप है कि उन्हें उच्च रक्तचाप और मधुमेह की दवाइयां समय पर नहीं दी गईं। 23 सितंबर को उन्हें बेकर्सफ़ील्ड से लॉस एंजेलिस ले जाकर जॉर्जिया होते हुए आर्मेनिया और फिर दिल्ली भेजा गया। उनके वकील दीपक अहलूवालिया का कहना है कि कौर को न परिवार से विदा लेने दिया गया और न ही सामान इकट्ठा करने का मौका दिया गया। यह सब कुछ अचानक और अमानवीय तरीके से किया गया।

सिख समुदाय ने जताया विरोध

कौर की गिरफ्तारी और निर्वासन ने कैलिफ़ोर्निया में विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। लोग “Hands off our grandma” और “Harjit Kaur belongs here” जैसे पोस्टर लेकर सड़कों पर उतरे। स्थानीय सांसद जॉन गरामेंडी और सीनेटर जेसी अर्रेगुइन ने ICE से पुनर्विचार की अपील की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। अधिकार समूह ‘सिख कोएलिशन’ ने इसे “अत्यंत अमानवीय” बताया और कहा कि यह मामला सिर्फ़ एक बुज़ुर्ग महिला का नहीं बल्कि उन हजारों प्रवासियों की स्थिति का प्रतीक है जो दशकों से अमेरिका में रहकर भी असुरक्षित महसूस करते हैं।

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अमेरिका ने अब तक 1,700 से अधिक भारतीयों को किया निर्वासित

अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि कौर ने वर्षों तक कानूनी अपील की लेकिन हर स्तर पर मामला हार गईं, इसलिए अदालत के आदेश का पालन करते हुए उन्हें वापस भेजा गया। उनका तर्क है कि अब टैक्सदाताओं के पैसे और बर्बाद नहीं किए जा सकते। दूसरी ओर, प्रवासी संगठनों का कहना है कि यह सिर्फ़ कानून का पालन नहीं बल्कि “प्रवासी परिवारों पर क्रूरता” है। इस साल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका ने अब तक 1,700 से अधिक भारतीयों को निर्वासित किया है, जिनमें सबसे अधिक लोग पंजाब और हरियाणा से हैं। हरजीत कौर का मामला न सिर्फ़ अमेरिकी इमिग्रेशन नीतियों की कठोरता दिखाता है बल्कि यह भी उजागर करता है कि दशकों की मेहनत और सेवा के बावजूद प्रवासी परिवार कितनी असुरक्षित स्थिति में जी रहे हैं।

Keywords Harjit Kaur Deportation, US Deportation India, Indian Immigrants In US, ICE Deportation 2025, Sikh Community Protests, US Immigration Policy, Trump Administration Deportations

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