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फ्रांस में सियासी भूचाल: पीएम सेबेस्टियन लेकोर्नू ने पद से दिया इस्तीफा, मैक्रों पर बढ़ा दबाव

फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने पद संभालने के कुछ ही हफ्तों में इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे से देश की राजनीति में बड़ी हलचल मच गई है।

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फ्रांस में सोमवार को एक आश्चर्यजनक राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला जब प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति कार्यालय ने इस इस्तीफे की पुष्टि करते हुए बताया कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेकोर्नू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। लेकोर्नू ने एक महीने से भी कम समय पहले पदभार संभाला था और हाल ही में अपने मंत्रिमंडल की घोषणा की थी। यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब फ्रांस पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। उल्लेखनीय है कि लेकोर्नू पिछले एक साल में देश के चौथे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने अपने पूर्ववर्ती फ्रांस्वा बायरू की जगह ली थी।

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मंत्रिमंडल गठन पर उठे सवाल

सेबेस्टियन लेकोर्नू की सबसे बड़ी आलोचना उनके द्वारा गठित नए मंत्रिमंडल को लेकर हुई। उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर को रक्षा मंत्रालय में नियुक्त किया, जिसे लेकर सियासी गलियारों में काफी असंतोष देखने को मिला। कई विपक्षी दलों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि लेकोर्नू ने अपने मंत्रिमंडल में ‘पुराने चेहरों’ को फिर से जगह देकर नई सोच की संभावना को खत्म कर दिया। इसके अलावा, आंतरिक मंत्री के रूप में ब्रूनो रिताइलो और विदेश मंत्री के रूप में जीन-नोएल बारोत को दोबारा बनाए रखने के फैसले पर भी सवाल उठे। न्याय मंत्रालय का कार्यभार गेराल्ड डर्मैनिन को सौंपने के निर्णय ने भी सत्ता और न्यायपालिका के बीच संतुलन पर नई बहस छेड़ दी। आलोचकों का कहना था कि यह टीम बदलाव की नहीं, बल्कि पुराने ढांचे को बनाए रखने की कोशिश है।

विपक्ष का हमला और मैक्रों की मुश्किलें

प्रधानमंत्री के इस्तीफे के तुरंत बाद विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर राजनीतिक दबाव बढ़ा दिया। दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी ने मैक्रों से या तो नए आम चुनाव कराने या फिर खुद इस्तीफा देने की मांग की है। वहीं वामपंथी दल फ्रांस अनबोड ने भी राष्ट्रपति के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह इस्तीफा सरकार की असफल नीतियों का परिणाम है। विपक्ष का तर्क है कि लेकोर्नू का इस्तीफा केवल व्यक्तिगत निर्णय नहीं बल्कि मैक्रों की कमजोर राजनीतिक रणनीति का नतीजा है। इससे पहले भी प्रधानमंत्री के बार-बार बदलने से जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है और सरकार की स्थिरता पर गहरे सवाल खड़े हो गए हैं।

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अस्थिर राजनीतिक दौर में फंसा फ्रांस

फ्रांस की राजनीति पिछले कुछ महीनों से लगातार उथल-पुथल में है। राष्ट्रपति मैक्रों के पिछले साल अचानक चुनाव घोषित करने के बाद से संसद में सत्ता का संतुलन बिगड़ गया था। दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों के पास मिलकर 320 से अधिक सीटें हैं, जबकि मैक्रों के मध्यमार्गी और सहयोगी रूढ़िवादी दलों के पास सिर्फ 210 सीटें हैं। यह स्थिति किसी भी कानून या नीतिगत फैसले को पारित करने में मुश्किलें पैदा कर रही है। अब लेकोर्नू के इस्तीफे ने देश की राजनीति को और अस्थिर बना दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर राष्ट्रपति ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो फ्रांस को एक और राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

Keywords: Sebastien Lecornu Resignation, France Politics Crisis, Emmanuel Macron, French Prime Minister Resigns, French Government Instability, Macron Leadership Challenge

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