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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, वाहनों और सोशल मीडिया से जाति सूचक चिन्ह हटाएं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि गाड़ियों, सोशल मीडिया और पुलिस दस्तावेज़ों से जाति-आधारित प्रतीकों और प्रविष्टियों को तुरंत हटाया जाए।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि अब कोई भी वाहन या सोशल मीडिया अकाउंट जातिवाद को बढ़ावा देने वाला प्रतीक, झंडा या स्टिकर प्रदर्शित नहीं करेगा। अदालत का मानना है कि ऐसे प्रतीक समाज में असमानता और भेदभाव की भावना को गहराई देते हैं। यह फैसला सामाजिक बराबरी की दिशा में एक सशक्त कदम है, जो जातिवाद की जड़ों को कमजोर करने में मदद करेगा।

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पुलिस रिकॉर्ड से हटेगा जाति-धर्म कॉलम

इस सुनवाई की जड़ एक आपराधिक मामला था जिसमें आरोपी प्रवीन छेत्री ने अपने खिलाफ दर्ज शराब तस्करी केस को रद्द करने की मांग की थी। हालांकि अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में जाति का उल्लेख देखकर न्यायालय ने इस पर गंभीर सवाल उठाए। अदालत ने साफ कहा कि पहचान के लिए आज के दौर में बायोमेट्रिक, आधार, मोबाइल नंबर और अभिभावकों के विवरण जैसे आधुनिक साधन मौजूद हैं। ऐसे में पुलिस दस्तावेज़ों में जाति और धर्म का कॉलम बनाए रखना न केवल अवैध है बल्कि समाज में भेदभाव को भी बढ़ावा देता है। अदालत ने अपवाद केवल अनुसूचित जाति और जनजाति मामलों के लिए रखा ताकि आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं के लाभ सुरक्षित रह सकें।

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स्कूलों और थानों में जागरूकता अभियान अनिवार्य

हाईकोर्ट ने न केवल पुलिस दस्तावेज़ों में सुधार का निर्देश दिया बल्कि शिक्षा और सामाजिक स्तर पर भी बदलाव की आवश्यकता जताई। अदालत ने आदेश दिया कि सभी स्कूलों में एंटी-कास्टिज्म पाठ्यक्रम शामिल किए जाएं और नियमित जागरूकता अभियान चलाए जाएं। साथ ही, सभी पुलिस थानों से जाति-विशेष को बढ़ावा देने वाले बोर्ड और साइन हटाने का भी निर्देश दिया गया। अदालत ने यह भी कहा कि राज्य का दायित्व है कि वह समानता और भाईचारे की भावना को मजबूत करे और किसी भी स्तर पर जातिगत भेदभाव को जगह न दे।

जाति-निरपेक्ष समाज की ओर कदम

यह फैसला केवल एक कानूनी आदेश नहीं बल्कि सामाजिक सुधार की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। अदालत ने साफ संकेत दिया है कि आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में जाति के आधार पर पहचान की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यह निर्णय न केवल सरकारी सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाएगा, बल्कि आम जनता में भी जातिगत असमानता के खिलाफ नई सोच को जन्म देगा। इसे भारतीय न्यायपालिका की ओर से जातिवाद के खिलाफ एक सशक्त और साहसिक संदेश माना जा रहा है।

Keywords – Allahabad High Court, Caste Glorification, Uttar Pradesh News, UP

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