ट्रिशिया बार्कर का जन्म टेक्सास के ऑस्टिन में एक ईसाई परिवार में हुआ था, लेकिन बचपन से ही उन्होंने ईश्वर या आत्मा जैसी चीज़ों में विश्वास नहीं किया। उनका जीवन पूरी तरह भौतिक अनुभवों और तर्क पर आधारित था। 21 साल की उम्र तक ट्रिशिया ने न तो कोई धार्मिक अभ्यास किया, न ही किसी आत्मा या परलोक की कहानी में विश्वास किया। उनके लिए जीवन केवल यहां और अब तक सीमित था। उनका सोचने का तरीका वैज्ञानिक और तार्किक था। उन्होंने हमेशा अपने आप को नास्तिक माना और किसी भी आध्यात्मिक या धार्मिक विचार से दूरी बनाए रखी। ट्रिशिया का यह नजरिया उनके परिवार और दोस्तों के लिए भी परिचित था। वह हमेशा यह मानती थीं कि मनुष्य का जीवन केवल यहां पृथ्वी पर है और मृत्यु के बाद कुछ नहीं बचता। उनके लिए मौत केवल शरीर का अंत था, आत्मा या परलोक जैसी कोई चीज़ अस्तित्व में नहीं थी। यही कारण था कि उनके जीवन में आध्यात्मिकता के लिए कोई जगह नहीं थी। लेकिन किसे पता था कि एक साधारण दिन उनका पूरा दृष्टिकोण बदल देगा।
ट्रिशिया अपनी कार से एक रेस में भाग लेने जा रही थीं, तभी अचानक एक दूसरी कार ने उनकी कार से जोरदार टक्कर मार दी। यह टक्कर इतनी भयंकर थी कि ट्रिशिया गंभीर रूप से घायल हो गईं। उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और शरीर के अंदर भी कई गंभीर चोटें आईं। हादसे के तुरंत बाद वह शॉक में थीं और हिल भी नहीं पा रही थीं। हादसे के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। उनके पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं था, इसलिए उन्हें लगभग 17 घंटे तक सर्जरी का इंतजार करना पड़ा। इस बीच उनकी चोटें गंभीर थीं और जान को खतरा मंडरा रहा था। ऐसे समय में ट्रिशिया ने पहली बार अपनी नास्तिकता को किनारे रखा। उन्होंने अपने दिल में प्रार्थना की, “ओ गॉड! अगर आप सचमुच हैं तो कृपया मेरी मदद करें और मुझे बचा लें।” यह प्रार्थना उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
मृत्यु के करीब का अनुभव (Near-Death Experience)
सर्जरी से पहले जब ट्रिशिया को बेहोश किया गया, तभी उनकी जिंदगी का सबसे अद्भुत अनुभव शुरू हुआ। ट्रिशिया ने अपने शरीर से बाहर निकलते हुए ऑपरेशन थिएटर में खुद को देखा। उनके अनुसार वह पूरी तरह शांत और दर्द-मुक्त थीं। चारों ओर अजीब सी रोशनी फैली हुई थी। उन्होंने देखा कि सर्जनों के पीछे कुछ “रोशनी वाले लोग” खड़े थे, जिनका शरीर सुनहरी, चांदी और नीली रोशनी से चमक रहा था। ये लोग टेलीपैथी के जरिए उनसे संवाद कर रहे थे और उन्हें बताने लगे कि वह ठीक हो जाएंगी। इस दौरान उनका दिल पूरी तरह बंद हो गया, यानी वह 3 मिनट तक पूरी तरह मर चुकी थीं। लेकिन फिर भी उनकी चेतना सक्रिय थी और वे सबकुछ स्पष्ट रूप से देख रही थीं। यह अनुभव न केवल अद्भुत था, बल्कि उनके जीवन की दिशा बदलने वाला भी साबित हुआ।
परलोक में मां-पिता और दादा जी से हुई मुलाकात
इस अनुभव में ट्रिशिया ने अपने परिवार और प्रियजनों को भी देखा। उन्होंने अपनी मां और सौतेले पिता को वेटिंग रूम में देखा। खास बात यह थी कि उनके सौतेले पिता चॉकलेट खरीद रहे थे, जो ट्रिशिया को देखकर अचरज में पड़ गईं, क्योंकि वे सामान्यतः मीठा नहीं खाते थे। बाद में यह जानकारी उनकी मां ने भी सत्य साबित की। इसके बाद ट्रिशिया अपने दादाजी से मिलीं, जो वहां जवान नजर आ रहे थे। वह अपने प्रियजनों से मिलकर आगे बढ़ रही थीं कि तभी उन्होंने एक जोरदार और अद्भुत आवाज सुनी, जिसे उन्होंने ईश्वर की आवाज माना। ईश्वर ने उन्हें बताया कि उनका जीवन उद्देश्य क्या होना चाहिए। यह आवाज इतनी स्पष्ट और शक्तिशाली थी कि ट्रिशिया पूरी तरह प्रभावित हो गईं।
ईश्वर से मिला जीवन जीने का उद्देश्य
ईश्वर ने ट्रिशिया को यह संदेश दिया कि वह वकील नहीं बल्कि शिक्षक बनें। उनका उद्देश्य छात्रों को डर, असफलता और जीवन की चुनौतियों से बाहर निकालना होना चाहिए। यह संदेश उनके लिए जीवन की दिशा और उद्देश्य तय करने वाला साबित हुआ। तुरंत इसके बाद ट्रिशिया अपने शरीर में वापस आईं और ICU में उठकर बैठ गईं। वह अपने अनुभव के बारे में नर्स और डॉक्टरों को बताने लगीं। शुरुआती संदेह और डर के बाद, उनके परिवार ने भी उनकी बातों पर विश्वास करना शुरू किया। खासकर वह बात जब उनके सौतेले पिता की चॉकलेट की जानकारी सही साबित हुई। यह अनुभव उनके जीवन में आध्यात्मिकता और ईश्वर में विश्वास की नींव बन गया।
घटना के बाद बदला जीवन जीने की राह
इस अनुभव ने ट्रिशिया का जीवन पूरी तरह बदल दिया। पहले नास्तिक और केवल भौतिक जीवन में विश्वास रखने वाली ट्रिशिया अब आध्यात्मिक विश्वास और जीवन उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने लगीं। उन्होंने वकालत छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा और आज एक इंग्लिश टीचर हैं। वह छात्रों को जीवन में आत्मविश्वास बनाए रखने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। ट्रिशिया की कहानी यह सिखाती है कि मृत्यु के करीब का अनुभव (NDE) न केवल व्यक्ति की सोच बदल सकता है बल्कि जीवन का उद्देश्य और मूल्य भी निर्धारित कर सकता है। उनके अनुभव ने साबित किया कि जीवन और मृत्यु केवल भौतिक नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे आध्यात्मिक और मानसिक अनुभव भी महत्वपूर्ण हैं।
Kewords – Trishia Barker, Near-death Experience, Life After Death, Spiritual Awakening, Out-of-body Experience, Divine Encounter, Accident Survivor, Religious Transformation, Faith In God, Miraculous Recovery