- Advertisement -

Navratri 2025: मां दुर्गा के नौ रूप, नवरात्रि में आस्था, शक्ति और दिव्यता के नौ दर्शन

नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा के नौ दिव्य रूपों की आराधना की जाती है। हर रूप एक विशेष शक्ति और संदेश का प्रतीक है। आइए जानें मां दुर्गा के नौ रूपों का महत्व और उनके पूजन का महत्व।

0 Min Read

माता रानी के 9 रूप, जिन्हें नवदुर्गा भी कहते हैं, ये हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।नवरात्रि के नौ दिनों में भक्त इन नौ देवियों की पूजा-अर्चना करते हैं, जिसमें प्रत्येक दिन एक विशिष्ट रूप को समर्पित होता है। जानिए नवरात्रि के 9 दिनों में पूजित मां दुर्गा के स्वरूप, उनकी विशेषताएं और पूजा से प्राप्त होने वाले दिव्य लाभ।

मां शैलपुत्री

शैलपुत्री हिंदू देवी दुर्गा का पहला रूप हैं और नवदुर्गाओं में प्रथम हैं। उनका नाम पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण पड़ा, क्योंकि ‘शैल’ का अर्थ पर्वत और ‘पुत्री’ का अर्थ कन्या है। नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री का वाहन बैल है। वह एक हाथ में कमल पुष्प और दूसरे हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं। मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट और दुख दूर होते हैं।

1

/

9

मां ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी महादेवी के नवदुर्गा रूपों में दूसरा स्वरूप हैं, जिनकी नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा की जाती है। ‘ब्रह्मचारिणी’ शब्द का अर्थ है ‘ब्रह्म का आचरण करने वाली’, अर्थात तपस्या का आचरण करने वाली देवी। वह दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं। माना जाता है कि विधिपूर्वक पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को सफलता व दीर्घायु मिलती है। देवी को चीनी का भोग लगाया जाता है, जिससे हर क्षेत्र में सफलता और लंबी आयु प्राप्त होती है।

2

/

9

- Advertisement -

मां चंद्रघंटा

चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा और सबसे शक्तिशाली रूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। उन्हें शांति, शक्ति और वीरता की प्रतीक माना जाता है और उनके माथे पर घंटी के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित रहता है, जिसके कारण उन्हें ‘चंद्रघंटा’ कहते हैं। उनकी तीसरी आंख हमेशा खुली रहती है, जो बुराई के विरुद्ध उनकी निरंतर सतर्कता को दर्शाती है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मां चंद्रघंटा का एक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है। उन्हें समर्पित एक मंत्र है, जिसका जाप नवरात्रि के तीसरे दिन किया जाता है: “या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”।

3

/

9

मां कूष्माण्डा

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ रूप कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब सृष्टि नहीं थी और चारों ओर अंधकार था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान (ईषत हास्य) से पूरे ब्रह्मांड की रचना की। इसलिए उन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति कहा जाता है। मां कूष्मांडा का निवास सूर्यमंडल में माना जाता है, और उनके शरीर का तेज भी सूर्य के समान है। उनका तेज इतना शक्तिशाली है कि दसों दिशाएं और सम्पूर्ण ब्रह्मांड उनके प्रकाश से रोशन होते हैं। इनकी पूजा से रोग, शोक और मानसिक तनाव दूर होते हैं, मनुष्य त्रिविध ताप (शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक कष्ट) से मुक्त होता है और शांति, समृद्धि और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

4

/

9

Read More

मां स्कंदमाता

स्कंदमाता देवी दुर्गा का एक रूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है। उन्हें शिव जी की संतान, भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की मां के रूप में जाना जाता है. स्कंदमाता का स्वरूप कमल पर विराजमान है, उनकी चार भुजाएं हैं, और उनके हाथों में कमल और शिवपुत्र स्कंद विराजमान होते हैं. उन्हें मोक्ष, ज्ञान, शक्ति और समृद्धि प्रदान करने वाली देवी माना जाता है.

5

/

9

मां कात्यायनी

कात्यायनी देवी मां दुर्गा के नव दुर्गा रूप में से छठा रूप हैं, जो अहंकार और कठोरता का नाश करती हैं। उनकी उत्पत्ति कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में हुई थी, इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है। देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनकी पूजा से भक्तों को शत्रुओं पर विजय, बाधाओं से मुक्ति और विवाह संबंधी समस्याओं का निवारण होता है।

6

/

9

- Advertisement -

मां कालरात्रि

कालरात्रि मां दुर्गा का सातवां और सबसे भयानक रूप हैं, जिन्हें शुभंकरी भी कहते हैं, क्योंकि वे दुष्टों और नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती हैं और अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं। नवरात्र के सातवें दिन इनकी पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से अग्नि, जल, शत्रु और भूत-प्रेत के भय से मुक्ति मिलती है।

7

/

9

मां महागौरी

महागौरी हिंदू देवी दुर्गा का आठवां और शांत स्वरूप हैं, जिनका वर्णन उज्ज्वल और गोरे रंग के रूप में किया जाता है। उन्हें नवरात्रि के आठवें दिन पूजते हैं, वे अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं और धन-ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। माना जाता है कि वह भूतकाल की सभी प्रकार की मानसिक और शारीरिक बाधाओं को दूर करती हैं। मंत्र “नमोस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” का जाप करके मां की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

8

/

9

मां सिद्धिदात्री

सिद्धिदात्री, मां दुर्गा का नौवां और अंतिम रूप हैं, जो भक्तों को सिद्धि (अलौकिक शक्तियां) और मोक्ष प्रदान करती हैं। नवरात्र के नौवें दिन (महा नवमी) इनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है, और ये सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओ के अनुसार, भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके कारण वे अर्द्धनारीश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुए।

9

/

9

- Advertisement -

Tags:

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.

Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

- Advertisement -

हॉट पिक ऑफ़ द डे

- Advertisement -

- Advertisement -

- Advertisement -

- Advertisement -

लेटेस्ट
चुटकी शॉट्स
वीडियो
वेबस्टोरी
मेन्यू