एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से एक दुखद खबर आई है , हिंदी और मराठी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री संध्या शांतराम का शनिवार को निधन हो गया। वह 87 वर्ष की थीं। संध्या जी मशहूर फिल्मकार और अभिनेता वी. शांतराम की पत्नी थीं, जिनके साथ उन्होंने कई यादगार फिल्मों में काम किया था।
नृत्य कला में माहिर
संध्या शांतराम ने 1950 से 1970 के दशक तक भारतीय सिनेमा में अपनी विशेष पहचान बनाई। वह अपनी शानदार अदाकारी और नृत्य कला के लिए प्रसिद्ध थीं। उन्होंने हिंदी और मराठी सिनेमा में कई क्लासिक फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें ‘झनक झनक पायल बाजे’ (1955), ‘दो आंखें बारह हाथ’ (1958) और ‘नवरंग’ (1959) जैसी सदाबहार फिल्में शामिल हैं। इन सभी फिल्मों का निर्देशन उनके पति वी. शांतराम ने किया था। बाद में उन्होंने मराठी फिल्म उद्योग में भी अमिट छाप छोड़ी। उनकी मराठी फिल्म ‘पिंजरा’ (1972) को आज भी एक कल्ट क्लासिक के रूप में याद किया जाता है।
संध्या और वी. शांतराम की मुलाकात से शादी तक
संध्या का असली नाम विजय देशमुख था। वी. शांतराम ने उन्हें तब खोजा, जब वे अपनी 1950 की फिल्म ‘अमर भूपाली’ के लिए नई नायिका की तलाश में थे। उस समय संध्या केवल 18 वर्ष की थीं। फिल्म में अभिनय करने के बाद उन्होंने वी. शांतराम के साथ लगातार काम किया, और यह पेशेवर रिश्ता आगे चलकर निजी जीवन का हिस्सा बन गया।
दोनों ने 1956 में विवाह किया और 1990 में वी. शांतराम के निधन तक साथ रहे। अपने 20 साल के फिल्मी करियर में संध्या ने केवल उन्हीं फिल्मों में काम किया जो उनके पति ने निर्देशित कीं।
संध्या शांतराम के निधन की खबर के बाद फिल्म जगत से लेकर राजनीति तक, सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने उन्हें याद करते हुए कहा ,“दिग्गज अभिनेत्री संध्या शांतराम जी के निधन से बेहद दुखी हूं। उनकी ‘पिंजरा’, ‘दो आंखें बारह हाथ’, ‘नवरंग’ और ‘झनक झनक पायल बाजे’ जैसी फिल्मों में निभाई भूमिकाएं हमेशा याद की जाएंगी। उनकी अद्भुत प्रतिभा और मोहक नृत्य कला ने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी है।”
राजनीति जगत ने भी उनकी स्मृति को नमन किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक्स पर लिखा “वरिष्ठ अभिनेत्री संध्या शांतराम जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उनकी ‘पिंजरा’ और ‘नवरंग’ जैसी मराठी फिल्मों में निभाई भूमिकाएं दर्शकों के दिलों में अमर हैं। उन्होंने हिंदी फिल्म जगत में भी अपनी खास पहचान बनाई।”
संध्या शांतराम का योगदान भारतीय सिनेमा के सुनहरे युग का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उन्होंने न केवल अभिनय में बल्कि नृत्य, संगीत और भावनाओं की अभिव्यक्ति में भी अपनी विशिष्ट शैली से दर्शकों का दिल जीता।उनके निधन से फिल्म इंडस्ट्री ने एक ऐसी कलाकार को खो दिया है, जिसकी कला और समर्पण आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।
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