2 अक्टूबर 1940 को उत्तर प्रदेश के जलालाबाद में जन्मे हबीब अहमद के लिए नाई का काम कोई साधारण रोज़गार नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही एक विरासत थी। उनके पिता नजीर अहमद अंग्रेजी हुकूमत के अफसरों और आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के निजी नाई थे। आज़ादी के बाद उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसी शख्सियतों के बाल संवारे। यही विरासत आगे चलकर हबीब अहमद को मिली और उन्होंने अपने हुनर से इस पेशे की इज्ज़त और बढ़ाई।
नेहरू, इंदिरा से लेकर कलाम तक के हेयर स्टाइलिस्ट
जब नजीर अहमद कैंची थामने में असमर्थ हो गए, तो उनकी जगह बेटे हबीब अहमद ने संभाली। हबीब सिर्फ नेहरू ही नहीं, बल्कि इंदिरा गांधी के भी हेयर स्टाइलिस्ट बने। इंदिरा गांधी का मशहूर “ब्लैक एंड व्हाइट” हेयर लुक हबीब अहमद की ही देन था। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का सिल्वर हेयर लुक भी उन्हीं का काम था। यह सिल्वर लुक इतना लोकप्रिय हुआ कि यह उनकी पहचान बन गया। हबीब अहमद का परिवार उसी दौरान राष्ट्रपति भवन में स्टाफ क्वार्टर में रहता था, और वहीं जावेद हबीब का जन्म भी हुआ।
पेशे को दिलाया सम्मान
हबीब अहमद समझते थे कि सिर्फ मशहूर हस्तियों के बाल काटने से नाई के पेशे को समाज में उचित सम्मान नहीं मिलेगा। उन्होंने अपने बेटे जावेद हबीब को लंदन भेजा ताकि वह आधुनिक हेयर स्टाइलिंग की बारीकियां सीख सके। जावेद ने लौटकर 1984 में भारत का पहला Jawed Habib Hair and Beauty Salon खोला, जो आगे चलकर देशभर में हजारों आउटलेट्स का ब्रांड बन गया। आज हेयर स्टाइलिंग को एक सम्मानजनक करियर माना जाता है, और इसमें हबीब अहमद की दूरदर्शिता की अहम भूमिका रही।
कला और विरासत हमेशा जिंदा रहेगी
85 वर्ष की आयु में, अपने जन्मदिन से एक सप्ताह पहले हबीब अहमद का निधन हो गया। उन्होंने न केवल कई प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों को स्टाइल किया, बल्कि पूरे भारत में इस पेशे की सोच को बदला। उनकी कला, सोच और विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। हबीब अहमद ने यह साबित कर दिया कि कैंची और कंघी भी इतिहास गढ़ सकती है।
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