यूनेस्को ने भारत के सात प्राकृतिक स्थलों को अपनी विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल किया। इस खबर से देश में खुशी की लहर दौड़ गई है। इन नए स्थलों के साथ भारत की इस सूची में कुल जगहों की संख्या अब 69 हो गई है। यह भारत की प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इन सात स्थलों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मेघालय, नागालैंड, आंध्र प्रदेश और केरल की खास जगहें शामिल हैं। ये स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और भूवैज्ञानिक महत्व के लिए मशहूर हैं।
यूनेस्को की संभावित सूची का महत्व
यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल होना किसी भी जगह के लिए बड़ा सम्मान है। यह पहला कदम है, जिसके बाद गहन मूल्यांकन होता है। भारत में पहले से ही 44 स्थान यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में हैं, जिनमें ताजमहल और कुतुब मीनार जैसे नाम शामिल हैं। इन सात नए स्थलों का नामांकन भारत की विविधता को दुनिया के सामने लाता है। यह देश के पर्यटन को बढ़ावा देने और धरोहरों को बचाने में मदद करेगा।
महाराष्ट्र का डेक्कन ट्रैप्स
महाराष्ट्र के पंचगनी और महाबलेश्वर में स्थित डेक्कन ट्रैप्स एक प्राचीन ज्वालामुखी क्षेत्र है। यह जगह करीब 66 मिलियन साल पुरानी है और लावा प्रवाह की वजह से बनी है। यह दुनिया में सबसे अच्छे संरक्षित ज्वालामुखी क्षेत्रों में से एक है। डेक्कन ट्रैप्स कोयना वन्यजीव अभयारण्य के पास है, जो पहले से ही यूनेस्को की सूची में शामिल है। यह जगह वैज्ञानिकों और पर्यटकों के लिए खास है।
कर्नाटक का सेंट मैरी द्वीप
कर्नाटक के उडुपी के पास सेंट मैरी द्वीप अपनी बेसाल्टिक चट्टानों के लिए जाना जाता है। ये चट्टानें 85 मिलियन साल पुरानी हैं और प्राचीन भूवैज्ञानिक इतिहास को दर्शाती हैं। समुद्र के किनारे बनी ये संरचनाएं प्रकृति की खूबसूरती को दिखाती हैं। यह जगह पर्यटकों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है।
मेघालय की माव्लुह गुफाएं
मेघालय की माव्लुह गुफाएं चूना पत्थर से बनी हैं और इनमें स्टैलैक्टाइट और स्टैलेग्माइट जैसी संरचनाएं हैं। ये गुफाएं जलवायु परिवर्तन और भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह जगह प्रकृति प्रेमियों और वैज्ञानिकों को आकर्षित करती है।
नागालैंड की नागा हिल्स
नागालैंड की नागा हिल ओफियोलाइट समुद्र की तलहटी से बनी चट्टानों का एक अनोखा उदाहरण है। ये पहाड़ियां महाद्वीपीय प्लेटों की टक्कर से बनी हैं। यह जगह टेक्टोनिक प्रक्रियाओं को समझने के लिए वैज्ञानिकों की पसंदीदा है और पर्यटकों के लिए भी आकर्षक है।
आंध्र प्रदेश की लाल रेत
विशाखापत्तनम के पास एर्रा मट्टी डिब्बालु, यानी लाल रेत की पहाड़ियां, अपनी अनोखी बनावट के लिए जानी जाती हैं। ये पहाड़ियां प्राचीन जलवायु परिवर्तनों को दर्शाती हैं। यह जगह पर्यटकों और शोधकर्ताओं दोनों के लिए खास है।
तिरुमाला की प्राकृतिक मेहराब
आंध्र प्रदेश की तिरुमाला पहाड़ियों में सिलाथोरनम, एक प्राकृतिक मेहराब, भूवैज्ञानिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह जगह तीर्थयात्रियों और प्रकृति प्रेमियों को लुभाती है।
केरल की वर्कला चट्टानें
केरल की वर्कला चट्टानें समुद्र तट के किनारे अपनी खास बनावट के लिए मशहूर हैं। ये मायो-प्लियोसीन युग की हैं और इनमें प्राकृतिक झरने हैं। यह जगह पर्यटन और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आदर्श है।
भारत की धरोहर को वैश्विक सम्मान
इन सात स्थलों का यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल होना भारत के लिए गर्व की बात है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इन स्थलों को नामांकित करने में बड़ी भूमिका निभाई। यह कदम भारत की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया के सामने लाता है और पर्यटन को बढ़ावा देता है।
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