नई दिल्ली से एक अहम खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लद्दाख के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंग्मों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया है। याचिका में वांगचुक की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) को चुनौती दी गई है। अदालत ने दोनों पक्षों को 14 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस दौरान यह भी आदेश दिया कि वांगचुक के हिरासत के आदेश की कॉपी उनकी पत्नी को दी जाए ताकि उन्हें मामले की सही जानकारी मिल सके। साथ ही अदालत ने कहा कि जोधपुर जेल में बंद वांगचुक को आवश्यक चिकित्सीय सुविधाएं दी जानी चाहिएं। अदालत का यह निर्देश इस बात की ओर इशारा करता है कि न्यायपालिका इस पूरे मामले की गंभीरता को लेकर सजग है।
लद्दाख हिंसा के बाद हिरासत में लिए गए वांगचुक
गौरतलब है कि लद्दाख में राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर बीते दिनों जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों के दौरान 24 सितंबर को हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए। हिंसा के दो दिन बाद, 26 सितंबर को प्रशासन ने सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में ले लिया और बाद में उन्हें राजस्थान के जोधपुर जेल भेज दिया गया। वांगचुक, जो अपने पर्यावरणीय अभियानों और शिक्षा सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं, ने लद्दाख में लंबे समय से स्थानीय हितों और पारिस्थितिक संतुलन की रक्षा के लिए आवाज उठाई है। लेकिन हालिया प्रदर्शन के बाद उन पर “कानून व्यवस्था भंग करने” के आरोप लगाए गए, जिसे लेकर कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
पत्नी गीतांजलि आंग्मों ने लगाई इंसाफ की गुहार
सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंग्मों ने अपने पति की गिरफ्तारी को मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा और अधिवक्ता सर्वम रितम खरे के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया कि वांगचुक को राजनीतिक दबाव में निशाना बनाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने से पहले, आंग्मों ने राष्ट्रपति को संबोधित एक तीन पृष्ठों का पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पति पिछले चार वर्षों से लोगों के अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन अब उन्हें “देश विरोधी” बताकर झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनके पति किस हालत में हैं और उन्हें जेल में कैसी सुविधाएं मिल रही हैं।
“देश के सच्चे सेवक को गलत तरीके से फंसाया गया”
गीतांजलि आंग्मों ने अपने पत्र में लिखा कि सोनम वांगचुक ने हमेशा भारतीय सेना और देश की एकता के लिए काम किया है। वे लद्दाख के लोगों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई शांतिपूर्ण तरीके से लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति “किसी के लिए भी खतरा नहीं हैं, बल्कि वे देश के सच्चे सेवक हैं।” इस पूरे घटनाक्रम ने लद्दाख की राजनीति और जनआंदोलन को एक नई दिशा दे दी है। कई स्थानीय संगठनों ने सरकार से वांगचुक की बिना शर्त रिहाई की मांग की है। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सबकी नजरें 14 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि वांगचुक की गिरफ्तारी पर सरकार का पक्ष कितना ठोस है और न्यायालय इस मामले में आगे क्या कदम उठाएगा।
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