इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जिले के असमोली क्षेत्र के राया बुजुर्ग गांव में तालाब की जमीन पर बनी मस्जिद के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच ने छुट्टी के दिन अर्जेंट सुनवाई करते हुए कहा कि मस्जिद पक्ष ट्रायल कोर्ट में अपील कर सकता है। मस्जिद शरीफ गौसुलबरा रावां बुजुर्ग और उसके मुतवल्ली मिंजर की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में फिलहाल कोई अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी।
प्रशासन की कार्रवाई
संभल प्रशासन ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और दशहरे के दिन इस मस्जिद और उसके आसपास बने अवैध निर्माणों पर कार्रवाई शुरू की थी। प्रशासन के अनुसार, यह मस्जिद तालाब और सरकारी भूमि पर बनी है। इसी दौरान प्रशासन ने मस्जिद के बगल में बने बारात घर को तोड़ दिया, जिसे अवैध निर्माण माना गया था। जब मस्जिद पर कार्रवाई की बारी आई, तो स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से चार दिन का समय मांगा ताकि वे स्वयं अवैध हिस्से को हटा सकें। डीएम ने समय दिया, लेकिन मस्जिद तोड़ने की प्रक्रिया बेहद धीमी रही।
मस्जिद कमेटी का पक्ष
मस्जिद कमेटी की ओर से अधिवक्ताओं ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि बिना औपचारिक ध्वस्तीकरण आदेश के कार्रवाई शुरू की गई, जिससे बड़ी भीड़ जमा हो गई थी और किसी अप्रिय घटना की आशंका थी। कमेटी ने यह भी दावा किया कि वे स्वयं विवादित हिस्से को तोड़ रहे हैं, इसलिए प्रशासन को कार्रवाई रोकनी चाहिए थी।
राज्य सरकार की दलील
राज्य सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जे.एन. मौर्या और स्टैंडिंग काउंसिल आशीष मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि संबंधित भूमि सरकारी है और रेवेन्यू रिकॉर्ड में तालाब के रूप में दर्ज है। उन्होंने बताया कि मस्जिद और बारात घर दोनों ही अवैध निर्माण की श्रेणी में आते हैं। प्रशासन ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए कार्रवाई शुरू की है और प्रभावित पक्ष को पर्याप्त अवसर दिया गया था।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह मामला तथ्यों और दस्तावेजों पर आधारित है, जिसकी जांच निचली अदालत के स्तर पर होनी चाहिए। इसलिए, मस्जिद कमेटी को ट्रायल कोर्ट में अपील करने की सलाह दी गई है। साथ ही, हाईकोर्ट ने किसी भी प्रकार की अंतरिम रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया।
मस्जिद पर फिर चल सकता है बुलडोजर
चार दिन की मोहलत खत्म होने के बाद प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, मस्जिद पर बुलडोजर कार्रवाई दोबारा शुरू हो सकती है। स्थानीय लोगों द्वारा तोड़फोड़ की धीमी रफ्तार को देखते हुए अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि अब आदेश के अनुसार प्रशासन खुद कार्रवाई करेगा। इस मामले ने एक बार फिर अवैध निर्माण और धार्मिक स्थलों को लेकर प्रशासनिक सख्ती की बहस को जन्म दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद स्पष्ट है कि सरकारी और तालाब की जमीन पर बने किसी भी ढांचे को वैध नहीं माना जाएगा, चाहे वह धार्मिक ही क्यों न हो।
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