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‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर ओवैसी का हमला बोले, “अगर मैं मुसलमान हूं… तो इस देश को कहां ले जाया जा रहा है?”

AIMIM प्रमुख ओवैसी ने ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर सरकार-प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए, बरेली हिंसा के बाद धार्मिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नई बहस छिड़ गई।

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हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को एक जनसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि देश में अब धार्मिक भावनाओं को दोहरे पैमाने से परखा जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों ‘आई लव मोदी’ जैसे नारे को मीडिया और सत्ता प्रतिष्ठान स्वीकार करते हैं, लेकिन जब कोई ‘आई लव मोहम्मद’ कहता है तो उस पर आपत्ति की जाती है। ओवैसी ने स्पष्ट किया कि एक मुसलमान की पहचान उसके पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी है और उनकी वजह से ही इस्लाम को मानने वाले अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि पुलिस कार्रवाई हमेशा सत्ता के इशारे पर होती है और जब सत्ता बदलती है तो यही पुलिस अन्य लोगों के खिलाफ इस्तेमाल होती है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि युवाओं को अपनी बात शांतिपूर्वक और कानून के दायरे में रखनी चाहिए, हिंसा से दूर रहना चाहिए।

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बरेली में हिंसक प्रदर्शन और तनावपूर्ण माहौल

26 सितंबर को उत्तर प्रदेश के बरेली में जुमे की नमाज के बाद स्थिति बिगड़ गई। करीब दो हजार लोग मस्जिद के बाहर जमा हुए और ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद को लेकर विरोध जताने लगे। प्रशासन द्वारा पहले ही प्रदर्शन पर रोक लगाए जाने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों के जुटने से माहौल गरमाया। देखते ही देखते भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हुए और शहर में तनाव का माहौल फैल गया। आरोप है कि इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान ने भीड़ को उकसाया और प्रदर्शन की योजना बनाई। इसके बाद पुलिस ने उन्हें 27 सितंबर को हिंसक झड़प की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। आज भी बरेली का माहौल संवेदनशील बना हुआ है और भारी पुलिस बल तैनात है।

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विवाद की जड़: कानपुर से शुरुआत

‘आई लव मोहम्मद’ विवाद की शुरुआत इस साल 4 सितंबर को कानपुर से हुई थी। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के मार्ग में एक टेंट पर ‘आई लव मोहम्मद’ लिखा हुआ पोस्टर लगाया गया था। इस पर कुछ हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई और इसे एक नया ट्रेंड बताते हुए आरोप लगाया कि इसे जानबूझकर ऐसे स्थान पर लगाया गया है जहां हिंदू त्यौहार भी मनाए जाते हैं।

यह मामला देखते ही देखते तूल पकड़ गया और कई शहरों में ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान शुरू हो गया। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक इस नारे ने धार्मिक और राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया। जहां एक पक्ष इसे अपनी आस्था का सम्मान मानता है, वहीं दूसरा पक्ष इसे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाली पहल बताता है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

ओवैसी का बयान इस बहस को और गहरा करता है क्योंकि उन्होंने इसे केवल धार्मिक विवाद नहीं बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों और पुलिस-प्रशासन की भूमिका से भी जोड़ा है। उनके मुताबिक, अगर सत्ता और पुलिस किसी नारे या अभिव्यक्ति को लेकर दोहरा रवैया अपनाते हैं तो यह समाज को विभाजित करने का काम करेगा।

KeywordsAimim, Asaduddin Owaisi, I Love Mohammad Controversy, Bareilly Violence, Kanpur Poster Row, I Love Modi Slogan, Freedom Of Expression India, Communal Tension, Uttar Pradesh Protests, Indian Politics

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