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H-1B वीजा पर नया नियम: किसे भरने होंगे 1 लाख डॉलर? क्या पुराने वीजा धारकों पर भी लागू होगा? व्हाइट हाउस ने दी जानकारी

अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित 1 लाख डॉलर का शुल्क केवल नए H-1B वीज़ा आवेदकों पर लागू होगा। मौजूदा वीज़ा धारकों और उनके नवीकरण को इससे छूट दी गई है।

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हाल ही में अमेरिका ने H-1B वीज़ा को लेकर बड़ा बदलाव घोषित किया है। लंबे समय से चर्चा में रहे 1 लाख डॉलर शुल्क को लेकर अब व्हाइट हाउस ने स्थिति साफ कर दी है। यह शुल्क केवल उन लोगों से लिया जाएगा जो अगले आवेदन सत्र में पहली बार H-1B वीज़ा के लिए अप्लाई करेंगे। यानी यह रकम सालाना या बार-बार चुकाने जैसी नहीं होगी, बल्कि एक-बारगी प्रोसेसिंग फीस के तौर पर मानी जाएगी। इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका विदेशी पेशेवरों की नई एंट्री को और अधिक नियंत्रित करना चाहता है।

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किसे मिलेगा राहत का फायदा?

सबसे बड़ी राहत उन लाखों भारतीय पेशेवरों और अन्य विदेशी कर्मचारियों को मिली है जो पहले से H-1B वीज़ा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं। प्रशासन ने साफ कहा है कि यह नया शुल्क नवीकरण (renewal) या मौजूदा वीज़ा धारकों पर लागू नहीं होगा। इसका मतलब है कि जो लोग पहले से अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं और अपने वीज़ा को बढ़वाने की प्रक्रिया में हैं, उन्हें किसी अतिरिक्त आर्थिक बोझ का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि बड़ी संख्या में भारतीय आईटी और टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल हर साल इस श्रेणी में आते हैं।

अफवाहें के कारण बढ़ी चिंता

नए नियमों की घोषणा के बाद शुरुआती दिनों में अफवाहों का दौर तेज हो गया था। सोशल मीडिया और टेक इंडस्ट्री में यह खबर तेजी से फैल गई कि यह शुल्क तुरंत लागू हो जाएगा और यहां तक कि वीज़ा नवीकरण या विदेश यात्रा से लौटने वाले कर्मचारियों पर भी असर डालेगा। इस वजह से कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को जल्दी वापसी की सलाह दी। हालांकि, व्हाइट हाउस ने बाद में यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसी कोई तात्कालिक बाध्यता नहीं है और मौजूदा धारकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद इस बहस ने यह दिखा दिया कि किस तरह वीज़ा नीतियों से जुड़ी अनिश्चितता कामकाजी समुदाय को प्रभावित करती है।

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आगे की चुनौतियां और प्रभाव

नए शुल्क का सीधा असर भविष्य के आवेदकों पर पड़ेगा, खासकर उन युवाओं और पेशेवरों पर जो भारत समेत अन्य देशों से अमेरिका में नौकरी के सपने लेकर अप्लाई करना चाहते हैं। इतनी बड़ी रकम आवेदन प्रक्रिया को केवल उन लोगों तक सीमित कर सकती है जिनके पास मजबूत आर्थिक सहयोग है। दूसरी ओर, अमेरिकी कंपनियों को भी लंबे समय में विदेशी प्रतिभा को आकर्षित करने में कठिनाई हो सकती है। यह बदलाव केवल आर्थिक बोझ का मामला नहीं है, बल्कि वैश्विक टैलेंट फ्लो और टेक इंडस्ट्री की कार्यशैली पर भी असर डाल सकता है।

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