प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत की सांस्कृतिक विरासत की बात से की। उन्होंने कहा कि हमारे त्योहार केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हमारी संस्कृति, परंपराओं और जीवन मूल्यों को आगे बढ़ाने का माध्यम भी हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने छठ महापर्व का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत सरकार इसे UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने के लिए प्रयासरत है। यह त्योहार सूर्य उपासना का अनूठा उदाहरण है और बिहार, झारखंड तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि यह पर्व UNESCO की सूची में आता है तो न केवल भारतीय प्रवासी समुदाय, बल्कि पूरी दुनिया इसके महत्व और दिव्यता को और निकट से समझ पाएगी। उन्होंने याद दिलाया कि कुछ समय पहले कोलकाता की दुर्गा पूजा को भी ऐसी ही वैश्विक पहचान मिली थी, जो भारत की संस्कृति के लिए गर्व की बात है।
लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि और स्वदेशी का संदेश
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर याद किया। उन्होंने कहा कि लता दीदी के गीत केवल संगीत नहीं थे, बल्कि मानवीय भावनाओं की गहराई को जगाने वाले थे। देशभक्ति गीतों के माध्यम से उन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने भावुक होकर बताया कि लता मंगेशकर हर वर्ष उन्हें राखी भेजती थीं, जो उनके व्यक्तिगत रिश्ते की गहराई को दर्शाता है। इसके साथ ही उन्होंने गांधी जयंती का उल्लेख करते हुए ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद खादी का महत्व कुछ समय के लिए कम हो गया था, लेकिन पिछले 11 वर्षों में खादी की बिक्री में कई गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि 2 अक्टूबर को वे खादी और स्थानीय उत्पाद खरीदें और गर्व के साथ कहें कि यह स्वदेशी है। साथ ही उन्होंने लोगों से इसे सोशल मीडिया पर #VocalForLocal के साथ साझा करने की अपील भी की।
Sharing this month's #MannKiBaat. Do hear!
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2025
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नारी शक्ति और नौसेना का पराक्रम
प्रधानमंत्री ने महिलाओं की उपलब्धियों का विशेष उल्लेख किया और बताया कि कैसे भारतीय नारी शक्ति आज हर क्षेत्र में परचम लहरा रही है। उन्होंने भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों, लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा का उदाहरण दिया। इन दोनों ने ‘नाविका सागर परिक्रमा’ के दौरान अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय देकर पूरे देश को गर्व महसूस कराया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि न केवल महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है, बल्कि भारत की नौसेना की बढ़ती शक्ति और आत्मविश्वास का भी प्रतीक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज महिलाएं परंपरा और नवाचार को साथ लेकर नई राहें बना रही हैं, जिससे समाज और अर्थव्यवस्था दोनों को नई दिशा मिल रही है।
स्थानीय उद्यमियों की प्रेरक कहानियां
मन की बात में प्रधानमंत्री ने कुछ ऐसे भारतीय उद्यमियों और सामाजिक नवप्रवर्तकों का परिचय कराया, जिन्होंने परंपरा और आधुनिकता का संतुलन बनाकर सफलता की नई कहानियां लिखी हैं। उन्होंने अशोक जगदीसन और प्रेम सेल्वराज का उदाहरण दिया, जिन्होंने कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर प्राकृतिक संसाधनों से योगा मैट बनाना शुरू किया। केले के रेशों और घास से बने इन उत्पादों ने न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखा बल्कि 200 से अधिक परिवारों को रोजगार भी दिया। इसी तरह आशीष सत्यव्रत साहू ने आदिवासी बुनाई और वस्त्रकला को ‘जोहरग्राम’ नामक ब्रांड के जरिए वैश्विक मंच तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री ने मधुबनी की स्वीटी कुमारी का भी जिक्र किया, जिन्होंने मिथिला पेंटिंग को ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका का साधन बनाया। उनके साथ जुड़कर आज 500 से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हैं।
आत्मनिर्भर भारत की ओर प्रेरणादायी कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश के अंत में कहा कि भारत आज जिस आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है, उसमें संस्कृति, परंपरा, नारी शक्ति और स्वदेशी प्रयासों का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि त्योहारों को वैश्विक पहचान दिलाना, स्वदेशी उत्पादों को अपनाना, और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, ये सभी कदम आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में अहम हैं। ‘मन की बात’ का यह संस्करण केवल प्रेरणादायी संदेशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि कैसे हर भारतीय, चाहे वह महिला अधिकारी हो, कलाकार हो या स्थानीय उद्यमी, देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में अपना योगदान दे रहा है। प्रधानमंत्री ने अंत में देशवासियों से आग्रह किया कि वे इन कहानियों से प्रेरणा लें और अपने-अपने स्तर पर भारत को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास करें।
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