लेह की सड़कों पर छात्रों की भारी भीड़ देखी गई, जो केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रही थी। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की है। छात्रों का कहना है कि यह उनकी लंबी और जायज मांग है और इसे किसी भी हालत में पूरा किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। सुरक्षा बल पूरी तरह अलर्ट मोड में थे, लेकिन छात्रों का गुस्सा और आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा था। सड़कें छात्रों के हुजूम से भर गई थीं और उनका यह प्रदर्शन केंद्र सरकार को स्पष्ट संदेश देने के उद्देश्य से किया गया।
आक्रोश का बढ़ता स्वरूप, आगजनी और नुकसान
प्रदर्शनकारियों ने अपने गुस्से का प्रदर्शन केवल नारेबाजी तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने बीजेपी कार्यालय के बाहर आगजनी की और CRPF की गाड़ी में भी आग लगा दी। यह उनकी गंभीरता और मांग के प्रति दृढ़ता को दर्शाता है। छात्रों का कहना था कि वे अपनी मांग पूरी होने तक पीछे नहीं हटेंगे। इस प्रदर्शन ने यह भी दिखाया कि छात्रों के भीतर लद्दाख के विकास और राजनीतिक दर्जे को लेकर गहरी संवेदनशीलता है। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए, लेकिन छात्रों की संख्या और आक्रोश को देखकर माहौल तनावपूर्ण बना रहा।
सोनम वांगचुक बनी प्रेरणा का स्रोत
इस आंदोलन में छात्रों को प्रेरणा मिली है सोनम वांगचुक से, जो लद्दाख के एक प्रसिद्ध इंजीनियर, नवप्रवर्तक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) की स्थापना की, जो ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा सुधार और सामाजिक जागरूकता के लिए काम करता है। उनकी शिक्षा और पर्यावरणीय पहल लद्दाख में काफी सम्मानित हैं। सोनम वांगचुक का जीवन बॉलीवुड में भी दर्शाया गया है, फिल्म ‘3 इडियट्स’ में रैंचो (फुंसुख वांगडू) का किरदार आंशिक रूप से उनके जीवन और कार्यों से प्रेरित है। उन्हें रैमन मैग्सेसे पुरस्कार (2018) से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा
लद्दाख के छात्रों का यह आंदोलन केवल एक स्थानीय विरोध नहीं है, बल्कि इसका राष्ट्रीय और राजनीतिक महत्व भी है। पूर्ण राज्य का दर्जा लद्दाख को अधिक स्वायत्तता देगा और वहां के लोगों को अपने संसाधनों और प्रशासन पर अधिक नियंत्रण का अधिकार मिलेगा। यह आंदोलन यह दिखाता है कि युवा पीढ़ी अपने अधिकारों और क्षेत्रीय विकास के लिए कितनी जागरूक है। प्रदर्शन का स्वरूप और छात्रों की दृढ़ता सरकार के लिए स्पष्ट संदेश है कि लद्दाख की मांग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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