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जानें, मोहन भागवत ने अमेरिकी टैरिफ और वीज़ा फीस पर क्या बड़ा ‘गुरु मंत्र’ दिया!

आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने साफ किया कि भारत को दोस्ती ज़रूर रखनी चाहिए, लेकिन अपनी शर्तों पर। अमेरिकी टैरिफ, वीज़ा फीस के झटकों के बीच स्वदेशी की ताकत पर ज़ोर दिया।

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नागपुर शहर आज सुर्खियों में था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अमेरिका के नए टैरिफ पर बड़ा बयान दिया। यह बात आरएसएस के सौ साल के उत्सव में हुई। भागवत जी ने कहा कि अमेरिका ने अपना हित देखा। दुनिया एक-दूसरे से जुड़ी है। हर देश थोड़ा निर्भर है। पर यह मजबूरी नहीं बननी चाहिए। स्वदेशी अपनाओ। अपने दम पर खड़े हो। दोस्त देशों से रिश्ता रखो, लेकिन अपनी मर्जी से। लोग उनके शब्दों पर ठहर गए। स्वयंसेवक चुपचाप सुन रहे थे। माहौल में देशभक्ति की गर्मी थी।

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टैरिफ की मार

अमेरिका ने अगस्त 2025 में भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया। पहले 25 फीसदी था। अब दोगुना। यह भारत के रूसी तेल खरीदने की वजह से था। ट्रंप ने कहा कि यह रूस को ताकत देता है। भारतीय सामान अब अमेरिका में महंगा। कपड़ा, रत्न-ज्वेलरी और मछली का निर्यात प्रभावित। रत्न-ज्वेलरी का सालाना कारोबार 28.5 अरब डॉलर। इसमें एक तिहाई अमेरिका जाता। छोटे व्यापारी परेशान। ऑर्डर कम हुए। फैक्टरियां सुस्त। लाखों नौकरियां खतरे में। भागवत जी बोले, दबाव में न झुको। अपनी ताकत जानो।

एच-1बी वीजा का झटका

सितंबर 2025 में अमेरिका ने एच-1बी वीजा पर 100,000 डॉलर की फीस लगाई। यह 88 लाख रुपये बनता है। फरवरी 2026 से लागू। पुराने वीजा वालों पर नहीं। पर नए लोगों के लिए मुश्किल। भारत 70 फीसदी एच-1बी वीजा लेता। टीसीएस जैसी कंपनियां प्रभावित। अमेजन, गूगल भी हजारों वीजा लेते। यह फीस नई परियोजनाएं रोकेगी। बेंगलुरु, हैदराबाद के युवा चिंतित। भागवत जी ने कहा, कौशल घर में लगाओ। स्वदेशी से रास्ता बनेगा।

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मोदी जी के साथ स्वर में स्वर

भागवत जी की बात मोदी जी से मिलती है। पीएम ने कहा, गर्व से कहो, मैं स्वदेशी खरीदता हूं। जेब की कंघी से कपड़े तक, भारत का सामान लो। यह युवाओं की मेहनत है। टैरिफ और वीजा फीस के बीच यह संदेश आया। लोग अब विदेशी चीजों पर कम भरोसा करने लगे। स्वदेशी की लहर उठी। हर खरीद में सोचो, क्या ये भारत का है? यह छोटा कदम देश को मजबूत करेगा।

दुनिया और निर्भरता

भागवत जी ने कहा, दुनिया जुड़ी है। रिश्ते जरूरी हैं। पर मजबूरी नहीं। भारत अपनी ताकत पर चले। स्वदेशी अपनाओ। दोस्तों से बात करो, पर अपनी शर्तों पर। आरएसएस का यह संदेश सही समय पर आया। सौ साल के जश्न में यह गूंजा। नागपुर में स्वयंसेवक सुन रहे थे।

व्यापार की चुनौतियां

अमेरिकी टैरिफ से भारत की मुश्किल बढ़ी। चीन पर 30 फीसदी, वियतनाम पर 20 फीसदी। भारत पर 50 फीसदी। निर्यातक परेशान। आईटी में 283 अरब डॉलर का कारोबार। ज्यादातर अमेरिका से। वीजा फीस से कंपनियां सोच रही हैं। काम बाहर भेजें या नई योजना बनाएं। नास्कॉम बोला, यह चिंता की बात। सरकार ट्रंप से बात कर रही।

स्वदेशी की ताकत

स्वदेशी नारा नहीं, जीवन का तरीका। कंघी से कपड़े तक, भारत का खरीदो। रोजगार बढ़ेगा। युवा मजबूत होंगे। टैरिफ ने सिखाया, विदेश पर कम भरोसा। वीजा फीस ने कहा, कौशल घर लगाओ। बेंगलुरु, हैदराबाद में नई लैब बन रही। पेटेंट भारत के हों। यह बदलाव शुरू हो गया।

राष्ट्रीय एकता का संदेश

भागवत जी का बयान एकता लाया। आरएसएस सौ साल से देश की सेवा करता। यह संदेश उसका हिस्सा। दुनिया बदल रही। भारत अडिग रहे। स्वदेशी से ताकत आएगी। रिश्ते बिना दबाव हों। नागपुर से यह बात देश भर में फैलेगी।

KeywordsRSS Mohan Bhagwat Statement, US Tariffs on India 2025, Swadeshi Movement Revival, H1B Visa Fee Hike, India US Trade Relations

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