Karur Stampede Update: तमिलनाडु के करूर जिले में हाल ही में हुए भगदड़ हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे के बाद टीवीके प्रमुख और अभिनेता विजय ने गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में उन्होंने इतना दर्दनाक दृश्य पहले कभी नहीं देखा। विजय ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी पार्टी हमेशा पुलिस से सुरक्षित स्थान की अनुमति लेती है, लेकिन इस बार लापरवाही ने कई जानें ले लीं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि उनके पार्टी पदाधिकारियों को नुकसान न पहुंचाया जाए। विजय ने साफ कहा, “अगर कोई कार्रवाई करनी है तो मुझ पर कीजिए, लेकिन निर्दोष कार्यकर्ताओं पर नहीं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे पीड़ित परिवारों से मिलने जाएंगे और उनके दुख में सहभागी बनेंगे। विजय के इस बयान को राजनीतिक विरोध से इतर एक मानवीय संवेदना के रूप में देखा जा रहा है, जिसने उन्हें सिर्फ अभिनेता या नेता नहीं, बल्कि इंसान के रूप में सामने रखा।
विजय का वीडियो संदेश
— TVK Vijay (@TVKVijayHQ) September 30, 2025
प्रशासन की भूमिका और सांसद रेखा शर्मा के आरोप
राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा ने भी इस हादसे को प्रशासनिक विफलता करार दिया। उनके अनुसार, इतनी बड़ी भीड़ को एक छोटे से इलाके में इकट्ठा करना ही सबसे बड़ी गलती थी। उन्होंने कहा कि न तो पुलिस बल पर्याप्त था, न पानी की व्यवस्था और न ही एम्बुलेंस तैनात थी। रेखा शर्मा ने जिला प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि कलेक्टर उनसे मिलने तक को तैयार नहीं हैं और जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाए। उनका बयान इस ओर इशारा करता है कि हादसे के पीछे केवल भीड़ का अनियंत्रित होना ही नहीं, बल्कि योजनाओं और व्यवस्थाओं की पूरी तरह विफलता भी है।
भीड़ प्रबंधन की चुनौतियां और आगे का रास्ता
करूर की यह घटना कोई पहली नहीं है, जब भीड़ प्रबंधन की कमी ने लोगों की जान ली हो। भारत जैसे विशाल देश में धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक आयोजनों में लाखों लोग शामिल होते हैं। ऐसे में सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि भीड़ नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने, आपातकालीन सेवाओं को मौके पर रखने और आयोजकों व प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता है। करूर की त्रासदी यह बताती है कि सिर्फ अनुमति देने से जिम्मेदारी पूरी नहीं होती, बल्कि सुरक्षा इंतजामों की सख्त निगरानी भी जरूरी है। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस हादसे से सबक लेते हैं या फिर यह घटना भी बाकी त्रासदियों की तरह समय के साथ भुला दी जाएगी।
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