बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। चुनाव आयोग ने राज्य में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। बता दें, इस बार बिहार में दो चरणों में मतदान होगा, पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी। चुनाव की तारीखें सामने आते ही राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों में तेजी ला दी है। सभी पार्टियां अब सीट शेयरिंग और उम्मीदवारों के चयन पर विचार कर रही हैं। एनडीए गठबंधन में बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रामविलास) और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा शामिल हैं, जबकि विपक्षी गठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां मिलकर मैदान में उतर रही हैं।
लालू यादव का “6 या 11, NDA नौ दो ग्यारह” वाला ट्वीट
चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर अपने चुटीले अंदाज़ में एनडीए पर तंज कसा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “6 या 11, NDA नौ दो ग्यारह।” लालू का यह व्यंग्य चुनावी तारीखों से जुड़ा है। 6 और 11 नवंबर को मतदान की घोषणा के बाद उन्होंने इन दोनों अंकों के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की कि इन चुनावों के बाद एनडीए का बिहार से सफाया हो जाएगा। उनके इस ट्वीट ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
छह और ग्यारह
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) October 7, 2025
NDA
नौ दो ग्यारह!
जानिए पिछले चुनाव का समीकरण
बिहार की राजनीति हमेशा से जातीय और सामाजिक समीकरणों पर आधारित रही है। पिछले चुनाव, यानी 2020 विधानसभा चुनाव में, आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि बीजेपी 74 सीटों पर काबिज रही। नीतीश कुमार की जेडीयू को 43 सीटें मिली थीं। हालांकि, सरकार अंततः एनडीए गठबंधन ने बनाई। इस बार हालात कुछ बदले हुए हैं। एक ओर जहां नीतीश कुमार का जनाधार कमजोर होने की बात कही जा रही है, वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी जैसे नए खिलाड़ी चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि छोटी पार्टियां इस बार सरकार बनाने में “किंगमेकर” की भूमिका निभा सकती हैं।
चुनावी रणभूमि में बढ़ी हलचल, जनता बनेगी निर्णायक शक्ति
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सभी राजनीतिक दल जनता के बीच पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। एनडीए जहां अपने विकास कार्यों और ‘सुशासन’ की बात कर रहा है, वहीं आरजेडी महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाकर जनता को साधने की कोशिश में है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का चुनाव सिर्फ दलों का नहीं, बल्कि नेतृत्व और विश्वास की परीक्षा भी होगा। लालू यादव के तंज ने चुनावी माहौल को मज़ेदार तो बना दिया है, लेकिन असली फैसला 14 नवंबर को ईवीएम के जरिए जनता ही करेगी।
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