बिहार के रोहतास में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की कथित “वोटर अधिकार यात्रा” असल में “घुसपैठिया बचाओ यात्रा” है, जिसका उद्देश्य केवल बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठियों को संरक्षण देना है। शाह ने सवाल उठाया कि कांग्रेस जनता के असली मुद्दों जैसे शिक्षा, रोजगार, बिजली और सड़क से ध्यान भटकाकर केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा, “क्या घुसपैठियों को वोट का अधिकार मिलना चाहिए? क्या उन्हें मुफ्त राशन, नौकरी और घर मिलने चाहिए जबकि हमारे युवा रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं?”
भाजपा का चुनावी संदेश, हर घर तक पहुंचाने की अपील
अमित शाह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि यह भाजपा की जिम्मेदारी है कि हर घर-घर जाकर कांग्रेस की कथित सच्चाई बताई जाए। उन्होंने चेताया कि अगर गलती से भी कांग्रेस की सरकार बनी तो बिहार के हर जिले में घुसपैठियों का बोलबाला होगा। शाह ने अपने भाषण में भाजपा की “राष्ट्रहित सर्वोपरि” की नीति पर जोर दिया और कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप दोहराया। यह बयानबाज़ी साफ संकेत देती है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा राष्ट्रवाद और घुसपैठ विरोधी एजेंडे को केंद्र में रखकर प्रचार को धार दे रही है।
राहुल गांधी ने जवाब में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
दूसरी ओर, राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक के अलंद विधानसभा क्षेत्र में वोटर फ्रॉड की जांच को दो साल से टालमटोल किया जा रहा है। राहुल का कहना है कि 2023 में जांच शुरू हुई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने जरूरी जानकारी साझा नहीं की, जिससे जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। उन्होंने चुनाव आयोग के प्रमुख पर “वोट चोरों को बचाने” का आरोप लगाते हुए एक हफ्ते के भीतर डेटा सार्वजनिक करने की मांग की। विपक्ष लगातार यह दावा करता रहा है कि भाजपा के सहयोग से मतदाता सूची में हेरफेर किया जा रहा है।
चुनावी जंग का नया दौर, आरोप-प्रत्यारोप तेज़
बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है और उससे पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज़ हो गया है। भाजपा जहां घुसपैठ और राष्ट्रवाद का मुद्दा उभार रही है, वहीं कांग्रेस चुनाव आयोग और लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल उठा रही है। अमित शाह और राहुल गांधी के बीच की यह बयानबाज़ी केवल व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि बिहार चुनाव की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। दोनों दल अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं और आने वाले दिनों में यह जंग और भी गर्म होने की संभावना है।
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