मिलाद-उन-नबी, जिसे ईद-ए-मिलाद भी कहते हैं, दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक खास पर्व है। यह पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल में यह त्योहार आता है। 2025 में यह 5 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। उत्सव 4 सितंबर की शाम से शुरू होकर 5 सितंबर की शाम तक चलेगा। इस दिन लोग पैगंबर की शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं। भारत में इस दिन कई राज्यों में स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और बैंकों में छुट्टी रहेगी।
क्या है मिलाद-उन-नबी का इतिहास?
मिलाद-उन-नबी को मव्लिद-अल-नबी भी कहा जाता है, जिसका मतलब है पैगंबर का जन्म। मान्यता है कि पैगंबर मुहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में रबी-उल-अव्वल की 12 तारीख को हुआ था। सुन्नी समुदाय इस दिन को 12वें दिन और शिया समुदाय 17वें दिन मनाता है। इस पर्व की शुरुआत मिस्र के फातिमिद वंश ने की थी, जिन्होंने सबसे पहले पैगंबर के जन्मदिन को आधिकारिक रूप से मनाया। 12वीं सदी तक यह परंपरा सीरिया, मोरक्को, तुर्की और स्पेन जैसे देशों में भी फैल गई। कुछ समुदाय इस दिन को पैगंबर के निधन की तारीख के रूप में भी याद करते हैं, जिसके कारण वे इसे शोक के दिन के रूप में मनाते हैं।
भारत में छुट्टी और उत्सव
भारत में मिलाद-उन-नबी के मौके पर कई राज्यों में 5 सितंबर 2025 को सरकारी छुट्टी रहेगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कैलेंडर के अनुसार, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा जैसे राज्यों में बैंक बंद रहेंगे। स्कूल, कॉलेज और कई सरकारी दफ्तर भी इस दिन बंद रहते हैं। लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं, मस्जिदों में विशेष नमाज अदा करते हैं और पैगंबर के जीवन से जुड़ी बातें साझा करते हैं।
कैसे मनाया जाता है यह पर्व?
मिलाद-उन-नबी का दिन श्रद्धा और खुशी का होता है। लोग सुबह मस्जिदों में नमाज पढ़ते हैं और पैगंबर की शिक्षाओं को याद करते हैं। कई जगह जुलूस निकाले जाते हैं, जिनमें लोग कुरान की आयतें पढ़ते हैं और पैगंबर के जीवन की कहानियां सुनाते हैं। इस दिन गरीबों को खाना और दान देना भी आम है। लोग अपने घरों में मेहमानों को बुलाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। पैगंबर की दया, सहनशीलता और नेक शिक्षाओं को याद करना इस दिन का मुख्य हिस्सा है। यह पर्व लोगों को एकजुट करता है और उनके बीच भाईचारे को बढ़ाता है।
क्यों खास है यह दिन?
मिलाद-उन-नबी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि पैगंबर मुहम्मद के जीवन और उनके संदेशों को याद करने का मौका है। उनके दिखाए रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है यह दिन। चाहे वह दया हो, सच बोलना हो या दूसरों की मदद करना, पैगंबर की शिक्षाएं आज भी लोगों के लिए मार्गदर्शक हैं। भारत में यह पर्व धार्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
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