सीवान में 9 साल से चल रहे हाईप्रोफाइल राजदेव रंजन हत्याकांड में रविवार को कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने रविवार को साक्ष्य के अभाव में 3 आरोपियों को रिहा कर दिया,जबकि तीन अन्य दोषी करार दिए गए। यह मामला हाईप्रोफाइल इसलिए था, क्योंकि इस मामले में एक आरोपी पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन भी थे, जिनकी पहले ही मौत हो चुकी है।
हाईप्रोफाइल राजदेव रंजन हत्याकांड
पत्रकार राजदेव रंजन बिहार के सीवान में एक हिंदी दैनिक के ब्यूरो चीफ थे। 13 मई 2016 को जब ऑफिस बंद कर वो किसी रिश्तेदार को मिलने अस्पताल गए तो वापसी के दौरान उन पर कुछ लोगों ने गोलियां बरसा दीं। राजदेव रंजन की 2 गोलियां लगने से मौके पर ही मौत हो गई थी। राजदेव रंजन की पत्नी आशा यादव ने स्थानीय थाने में केस दर्ज कराया था। मामला तब हाईप्रोफाइल हो गया, जब इस मामले में सीवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का नाम सामने आया। जांच हुई तो शहाबुद्दीन को छोड़ पुलिस ने 7 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
15 सितंबर, 2016 को सीबीआई को सौंपा केस
बिहार की सीवान पुलिस ने अपने स्तर पर 4 महीने तक इस मामले की जांच की, लेकिन कोई नतीजा न निकलने पर जांच सीबीआई को सौंप दी गई। 15 सितंबर, 2016 को सीबीआई ने केस दर्ज किया और सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन सहित 8 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अदालत में 69 गवाहों और 111 सबूतों को पेश किया गया था। इतना ही नहीं आरोपितों से 183 सवाल पूछे गए। 28 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाया जाना था, लेकिन एक आरोपी की बीमारी के कारण कोर्ट नहीं पहुंच पाया जिसकी वजह से आज 30 अगस्त को फैसला सुनाया गया ।
बरी आरोपियों के खिलाफ HC जाएंगे
फैसले के बाद आरोपियों के वकील शरद सिन्हा ने फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जिनके खिलाफ कनविक्शन की बात कही जा रही है उसमें कोई दम नहीं है। अपील के माध्यम से वे सब भी बरी हो जाएंगे। मरहूम डॉक्टर शहाबुद्दीन भी रिहा किये गए हैं। रिशु, राजेश और लड्डन मियां रिहा किये गए हैं। वहीं अधिवक्ता राकेश दुबे एपीपी ने बताया कि आज जिन 3 आरोपियों को निर्दोष कहा गया है। फैसले का कागज मिलने के बाद हम उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ जाएंगे।
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