राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप का कहर लगातार जारी है। राजस्थान के भरतपुर में दो साल के बच्चे और सीकर में पांच साल के बच्चे की मौत हुई। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है। बच्चों को जुकाम या खांसी की शिकायत के बाद यह सिरप मुफ्त स्वास्थ्य केंद्रों से दिया गया था। परिजन बताते हैं कि दवा पीते ही बच्चे को होश नहीं आया और अस्पताल में भर्ती कराने पर भी चार दिन बाद उसकी मौत हो गई। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि सिरप की गलत डोज और गुणवत्ता की वजह से उनके बच्चों की जान गई।
मुफ्त वितरण योजना में उठे सवाल
भरतपुर, बयाना और बांसवाड़ा में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त में बांटे गए कफ सिरप के कारण कई बच्चों की तबीयत बिगड़ी। जयपुर में इस सिरप से प्रभावित हुए डॉक्टर और अन्य लोग भी सामने आए हैं। प्रशासन की ओर से मुफ्त वितरण योजना में क्वालिटी कंट्रोल पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे सिरप की सही जांच और गुणवत्ता नियंत्रण जरूरी है, ताकि बच्चों को नुकसान से बचाया जा सके।
मध्य प्रदेश में हालात चिंताजनक
छिंदवाड़ा जिले में वायरल फीवर और कफ सिरप से बच्चों की मौत की संख्या बढ़कर 9 हो गई है। बच्चों को किडनी इंफेक्शन के चलते भर्ती किया गया था। प्रशासन ने 1420 बच्चों की सूची तैयार की है जो सर्दी-बुखार से पीड़ित हैं। एडीएम ने बताया कि गंभीर मामलों में बच्चों को छह घंटे मॉनिटरिंग के बाद जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है। प्रशासन ने प्राइवेट डॉक्टर्स को भी निर्देश दिए हैं कि गंभीर वायरल मरीजों को सीधे सिविल अस्पताल भेजा जाए।
प्रशासन ने की कार्रवाई और जांच
छिंदवाड़ा कलेक्टर ने दो कफ सिरप ब्रांड पर बैन लगा दिया है। साथ ही पानी और मच्छर से संबंधित जांच की गई, जो सामान्य पाई गई। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और CSIR लैब में सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। इस पूरे मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया है और सभी प्राइवेट अस्पतालों को अलर्ट किया गया है। साथ ही, परिवारों ने इस मामले में न्याय और सख्त जांच की मांग की है।
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