बिहार के गयाजी मे चल रहे विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला अब संपन्न हो गया, लेकिन इस साल यह मेला ने कई नए आयामों को जोड़ते हुए नई इतिहास लिख दिया है। इस साल इस मेले में रिकॉर्ड 32 लाख सात हजार 558 लोग देश विदेश से अपने पितरों को पिंडदान करने के लिए पहुंचे।
एक तरफ जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गया जी आकर पिंडदान कीं, वहीं बड़े उद्योपतियों में से एक मुकेश अंबानी सपरिवार आकर पिंडदान किए हैं। आस्था और श्रद्धा के महासंगम पितृपक्ष मेला 2025 कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। जिसका समापन 21 सितम्बर को हो गया।
समापन समारोह में सहकारिता विभाग, बिहार सरकार के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने राज्य सरकार, केंद्र सरकार, जिला प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों को मेले को ऐतिहासिक बनाने के लिए आभार प्रकट किया। समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि पितृपक्ष मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सनातन संस्कृति और परंपरा का अद्वितीय प्रतीक है।
यह मेला गया जी की आस्था को विश्व स्तर पर पहचान दिलाता है और यहां आने वाले लाखों श्रद्धालु अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। मंत्री ने कहा कि मेला को सफल बनाने में जिला प्रशासन, धार्मिक संगठनों, सामाजिक संस्थाओं एवं स्थानीय जनता का बड़ा योगदान रहा।
हालांकि इस साल नेपाल से काफी कम लोग पहुंचे थे, इसके पीछे का मुख्य बजह नेपाल में हुए आंदोलन को बताया जा रहा है, लेकिन भारत के कोने-कोने के अलावा विदेश में रहने वाले परी संख्या में हिंदू अपने पितरों को पिंडदान करने के लिए पितृपक्ष मेला में पहुंचे। पूरे 15 दिनों तक गया जी श्रद्धालुओं की भीड़ से पटा रहा। प्रशासन द्वारा पर्याप्त व्यवस्था की गई थी जिसके कारण श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हुई।
पर्यटन का सीधा संबंध क्षेत्र के इकोनॉमिकल डेवलपमेंट से भी रहता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से स्थानीय व्यवसायियों को खूब आर्थिक लाभ हुए हैं। चाहे सड़क पर ऑटो चलाने वाले हो या फिर होटल संचालक सभी लोग इस मेले से अच्छा खासा मुनाफा कमा चुके हैं। इससे भारत सरकार को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त हुआ है।
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