अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को रोकने का श्रेय खुद को दिया है। हाल ही में एक सार्वजनिक बयान में उन्होंने कहा कि अगर उनके पास टैरिफ लगाने की ताकत नहीं होती, तो दुनिया के सात में से कम से कम चार देशों के बीच युद्ध छिड़ जाते। ट्रंप के अनुसार, उनकी आर्थिक नीतियों, खासकर टैरिफ (आयात शुल्क) ने न सिर्फ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, बल्कि शांति बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “हमने सैकड़ों अरब डॉलर कमाए, लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि हम शांति के रक्षक बन गए।”
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर भी बोले ट्रंप
ट्रंप ने दावा किया कि उनके हस्तक्षेप के बिना भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध लगभग तय था। उन्होंने कहा कि उस समय दोनों देशों के बीच सीमा पर हालात बेहद तनावपूर्ण थे और कई विमानों को गिराए जाने की घटनाएं हो चुकी थीं। ट्रंप ने बिना विस्तार से बताए कहा कि उन्होंने कुछ ऐसा कहा था, जिसने दोनों देशों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। यह बयान उस दौर की याद दिलाता है जब पुलवामा हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में चरम तनाव था और अमेरिकी प्रशासन ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।
संयुक्त राष्ट्र में भी दोहराया शांति का दावा
ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी अपने इन प्रयासों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती सात महीनों में सात युद्धों को समाप्त कराया। उनका कहना था कि उनकी नीतियों ने उन संघर्षों को थाम लिया जो दशकों से जारी थे। ट्रंप ने यहां तक कहा कि उनके इन प्रयासों के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए था। हालांकि, उनके इन दावों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आईं, कुछ ने इसे अमेरिकी कूटनीति की सफलता बताया, तो कुछ ने इसे राजनीतिक प्रचार करार दिया।
‘युद्ध रोकने वाले देशों’ की ट्रंप लिस्ट
ट्रंप प्रशासन ने जुलाई 2025 में उन देशों की सूची जारी की थी, जहां उनके हस्तक्षेप से संघर्ष रोके गए। इसमें शामिल हैं —
- 1) भारत और पाकिस्तान
- 2) इजरायल और ईरान
- 3) थाईलैंड और कंबोडिया
- 4) रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो
- 5) सर्बिया और कोसोवो
- 6) आर्मेनिया और अजरबैजान
- 7) मिस्र और इथियोपिया
हालांकि सूत्रों का कहना है कि ट्रंप के दावे वास्तविकता से काफी अलग हैं, क्योंकि इनमें से कई संघर्ष आज भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुए हैं। फिर भी, ट्रंप की यह रणनीति दर्शाती है कि कैसे आर्थिक दबाव और कूटनीति को युद्ध रोकने के औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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