बिहार में विधानसभा चुनाव की हवा गर्म हो रही है। एनडीए गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। बीजेपी ने घुसपैठियों को अपना बड़ा मुद्दा बनाया है, लेकिन उसके साथी JDU और LJP इस पर चुप हैं। इससे गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। लोग सोच रहे हैं कि ये मतभेद चुनाव में क्या असर डालेंगे। बीजेपी का कहना है कि बाहरी लोग बिहार की आबादी को बिगाड़ रहे हैं। दूसरी ओर, विपक्ष इसे सिर्फ वोट पाने की चाल बता रहा है। आइए जानते हैं ये पूरा मामला क्या है।
बीजेपी का घुसपैठ मुद्दा
15 सितंबर 2025 को पूर्णिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में कहा कि एनडीए हर घुसपैठिए को बाहर निकालेगी। उन्होंने कांग्रेस और आरजेडी पर बाहरी लोगों को बचाने का इल्जाम लगाया। गृह मंत्री अमित शाह ने भी कई रैलियों में यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि बीजेपी वोटर लिस्ट को साफ करने के लिए चुनाव आयोग के अभियान का साथ देगी। ये अभियान मतदाता सूची से गलत नाम हटाने के लिए है। बीजेपी का मानना है कि इससे बिहार में साफ और निष्पक्ष चुनाव होंगे। शाह ने दिल्ली और बिहार की सभाओं में कांग्रेस को घुसपैठियों का साथी बताया। उनका जोर सीमांचल के इलाकों पर है, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। लेकिन JDU और LJP इस मुद्दे पर साथ नहीं दिख रहे।
JDU और LJP की खामोशी
JDU हमेशा विकास और समाजवादी सोच की बात करती है। उसके एक बड़े नेता ने कहा कि चुनाव में विकास के कामों को सामने रखना चाहिए। घुसपैठ जैसे मुद्दों से बचना बेहतर है। JDU चाहती है कि लोग पुराने समय की कमियों से उनकी तुलना करें। चिराग पासवान की LJP भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रही। दोनों दल एनडीए के अहम हिस्से हैं। अगर वो बीजेपी के रास्ते से अलग रहे, तो गठबंधन कमजोर हो सकता है। बिहार की सियासत में ये फर्क साफ दिख रहा है। JDU का अलग रुख बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। लोग अब देख रहे हैं कि क्या ये मतभेद गठबंधन की रणनीति को तोड़ देंगे।
विपक्ष का जोरदार पलटवार
विपक्ष ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। आरजेडी के प्रवक्ता ने कहा कि मोदी और शाह 20 साल की नाकामियों को छिपाने के लिए घुसपैठ का मुद्दा उठा रहे हैं। वो इसे धार्मिक रंग देना चाहते हैं। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि अगर घुसपैठिए हैं, तो विशेष वोटर लिस्ट जांच में अब तक कोई क्यों नहीं पकड़ा गया। उन्होंने आंकड़े दिए कि यूपीए के समय 2005 से 2014 तक 77,156 बांग्लादेशियों को वापस भेजा गया। लेकिन एनडीए के राज में 2015 से 2017 तक सिर्फ 833 लोग भेजे गए। 2018 से 2024 का कोई डेटा ही नहीं है। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी सिर्फ अपने वोटरों को जोड़ने के लिए ऐसा कर रही है।
चुनावी रणनीति का खेल
राजनीतिक विश्लेषक सज्जन कुमार सिंह कहते हैं कि बीजेपी का घुसपैठ मुद्दा सीमांचल में भावनाओं को छू सकता है। लेकिन पूरे बिहार में इसका असर कम हो सकता है। JDU और LJP का साथ न देना बीजेपी के लिए परेशानी है। कांग्रेस ने वोट चोरी का मुद्दा उठाकर बीजेपी पर दबाव बनाया है। जवाब में बीजेपी ने कांग्रेस को घुसपैठियों का दोस्त बता दिया। विश्लेषक कहते हैं कि ये रणनीति बीजेपी के मजबूत वोटरों को एकजुट करने की है। लेकिन गठबंधन में फूट से नुकसान हो सकता है। अमित शाह बिहार में 68 सीटों पर फोकस कर रहे हैं। तेजस्वी यादव और दूसरे विपक्षी नेता भी मैदान में डटे हैं।
चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बिहार में घुसपैठियों का कोई सबूत नहीं मिला। विशेष मतदाता सूची जांच में भी कोई गलत वोटर नहीं पकड़ा गया। फिर भी बीजेपी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है। आयोग का अभियान मतदाता सूची को सही करने के लिए है। बीजेपी इसे अपने पक्ष में इस्तेमाल कर रही है। लेकिन JDU और LJP की चुप्पी से साफ है कि गठबंधन में सब एक राय नहीं हैं। बिहार का चुनावी माहौल गर्म है। हर पार्टी अपने-अपने दांव खेल रही है। लोग अब देख रहे हैं कि ये सियासी जंग क्या रंग लाएगी।
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