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गगनयान मिशन में बड़ी सफलता: ISRO ने किया इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट, सुरक्षित लैंडिंग की मिली हरी झंडी

भारत के गगनयान मिशन ने नई सफलता हासिल की है। ISRO ने श्रीहरिकोटा से इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट किया, जिसमें क्रू मॉड्यूल पैराशूट के जरिए सुरक्षित रूप से समुद्र में उतरा। इस परीक्षण ने भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की तैयारी को और मजबूत कर दिया है।

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भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन ने एक और ऐतिहासिक कदम आगे बढ़ाया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को सफलतापूर्वक इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT) पूरा किया, जिसमें क्रू मॉड्यूल की रि-एंट्री, पैराशूट सिस्टम का डिप्लॉयमेंट और समुद्र से रिकवरी की प्रक्रिया को परखा गया।

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कैसे हुआ टेस्ट?

इस टेस्ट के लिए भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने डमी क्रू मॉड्यूल को श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट से लगभग 40 किलोमीटर दूर समुद्र तट के ऊपर करीब 3 किलोमीटर की ऊँचाई पर ले जाकर छोड़ा। इसके बाद तय क्रम में तीन मुख्य पैराशूट खुले, जिन्होंने मॉड्यूल की स्पीड को नियंत्रित किया और सुरक्षित तरीके से समुद्र में उतारा।

ISRO प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने बताया, “ये बेहद सफल परीक्षण रहा। सभी पैराशूट अपेक्षा के अनुसार खुले और मॉड्यूल की गति इंसानों के लिए सुरक्षित सीमा तक घट गई। इसके बाद नौसेना ने मॉड्यूल को रिकवर किया और हमें चेन्नई में सौंपा।”

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गगनयान मिशन की प्रगति

सरकार ने अभी तक गगनयान कार्यक्रम के तहत कुल 8 उड़ानों को मंजूरी दी है, जिनमें 6 बिना क्रू और 2 क्रू मिशन होंगे। पहली बिना मानव वाली उड़ान इसी साल के अंत तक और पहली मानवयुक्त उड़ान 2027 के आखिर तक लॉन्च करने की योजना है। खास बात ये है कि इन्हीं में से एक बिना मानव उड़ान में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) का पहला मॉड्यूल भी भेजा जाएगा।

क्रू मॉड्यूल और पैराशूट सिस्टम

असली गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल में कुल 10 पैराशूट होंगे:

सबसे पहले खुलेंगे 2 एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट, जो बाकी सिस्टम को सुरक्षित करेंगे।

इसके बाद 2 ड्रोग पैराशूट मॉड्यूल को स्थिर और धीमा करेंगे।

फिर 3 पायलट पैराशूट खुलकर मुख्य पैराशूट्स को बाहर निकालेंगे।

अंत में 3 मुख्य पैराशूट क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित स्प्लेशडाउन कराएंगे।

विशेषज्ञों के अनुसार, सिर्फ दो मुख्य पैराशूट भी अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए पर्याप्त होंगे।

चारों संस्थाओं का समन्वय

ये परीक्षण सिर्फ पैराशूट की तकनीक को जांचने के लिए ही नहीं बल्कि चार अहम संस्थाओं के तालमेल को परखने के लिए भी था:

  • ISRO – मिशन का संचालन
  • DRDO – पैराशूट सिस्टम का डिजाइन
  • भारतीय वायुसेना – चिनूक हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराया
  • भारतीय नौसेना – समुद्र से मॉड्यूल रिकवर किया

पिछली चुनौतिया और सफलता

ISRO ने 2022 में मुख्य पैराशूट का एयर ड्रॉप टेस्ट किया था। हालांकि 2023 में ड्रोग, पायलट और मुख्य पैराशूट का संयुक्त परीक्षण हेलीकॉप्टर संबंधी दिक्कतों के कारण नहीं हो सका। समस्याएं हल करने के बाद इस बार का टेस्ट पूरी तरह सफल रहा।

निश्चित रूप से गगनयान मिशन की ये उपलब्धि भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाली है। आने वाले वर्षों में भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष में भेजने वाला चौथा देश बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

Keywords – Gaganyaan Mission, ISRO, Integrated Air Drop Test, Indian Space Research Organisation, Indian Navy, Indian Air Force, DRDO, Parachute System, Space Mission India, Human Spaceflight, Sriharikota, Chinook Helicopter, Bharatiya Antariksha Station

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