Russia Earthquake Tsunami News: रूस के सुदूर पूर्वी कमचटका प्रायद्वीप के पास बुधवार को 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के कारण प्रशांत क्षेत्र में सुनामी आ गई है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार भूकंप का केंद्र पेट्रोपावलोव्स्क-कमचट्स्की (Petropavlovsk-Kamchatsky)शहर से 125 किमी दक्षिण-पूर्व में सतह से 19.3 किमी की गहराई में था इसने 3-4 मीटर ऊंची सुनामी लहरें उत्पन्न कीं, जिससे कमचटका के तटीय इलाकों में तबाही मच गई है। कमचटका के गवर्नर व्लादिमीर सोलोडोव ने इसे दशकों का सबसे गंभीर भूकंप बताया है। सखालिन द्वीप( Sakhalin Island)के सेवेरो-कुरिल्स्क (Severo-Kurilsk) में लोगों से समुद्र तट से निकालने का आदेश जारी किया गया है। इस भूकंप के कारण जापान, हवाई, अलास्का और अमेरिका के पश्चिमी तट के सुनामी के प्रकोप में आने की चेतावनी जारी की गई है।
जापान की मौसम एजेंसी ने तीन मीटर ऊंची लहरों की आशंका जताई, इससे निचले इलाकों में पानी भरने की आशंका है। हवाई द्वीप समूह (Hawaiian Islands)में सुनामी के खतरे के बीच अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने बड़ा कदम उठाते हुए सभी वाणिज्यिक(commercial )जहाजों को बंदरगाहों से हटने और किसी भी नए जहाज के प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश दिया है। कोस्ट गार्ड के ओशिनिया डिस्ट्रिक्ट ने बयान में कहा कि जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते, हवाई के सभी बंदरगाहों को जहाजों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है और सभी आने वाले जहाजों को समुद्र में ही रुके रहने को कहा गया है।
🚨📹 WATCH: Shocking footage of the earthquake that struck Russia’s Kamchatka Peninsula
— Sputnik (@SputnikInt) July 30, 2025
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रूस के सुदूर पूर्वी कामचटका प्रायद्वीप( Kamchatka Peninsula) के पास आए 8.8 तीव्रता वाले शक्तिशाली भूकंप के बाद बुधवार को जापान के होक्काइदो तट पर विशाल सुनामी लहरें पहुंचती दिखीं। जापान की मौसम एजेंसी ने तटीय क्षेत्रों में तीन मीटर (10 फीट) तक ऊंची लहरों की चेतावनी देते हुए देश के पूर्वी समुद्री तट के बड़े हिस्से को खाली कराने का आदेश दिया. 2011 की तबाही को याद दिलाते हुए कई शहरों में सुनामी सायरन बजाए गए और लोगों से तुरंत ऊंचे स्थानों की ओर जाने को कहा गया। कामचटका और रूस का यह क्षेत्र ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित है, जो भूकंप और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है।
सुनामी भूकंप या पानी के नीचे भूस्खलन से उत्पन्न होने वाली समुद्री लहरें होती हैं। यह शब्द जापानी है और इसका अर्थ है बंदरगाह की लहर क्योंकि इन लहरों का जापान के निचले तटीय समुदायों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। सुनामी को अक्सर ग़लती से ज्वारीय लहरें कहा जाता है, लेकिन सुनामी वास्तव में लहरों की एक श्रृंखला होती है जो खुले समुद्र में औसतन 450 (और अधिकतम 600) मील प्रति घंटे की गति से चल सकती है। खुले समुद्र में, सुनामी जहाजों द्वारा महसूस नहीं की जा सकती क्योंकि उनकी तरंगदैर्ध्य( wavelength) सैकड़ों मील लंबी और आयाम केवल कुछ फीट का होता है। इससे वे हवा से भी अदृश्य हो जाती हैं। जैसे-जैसे लहरें तट के पास पहुँचती हैं, उनकी गति कम होती जाती है और उनका आयाम बढ़ता जाता है। असामान्य लहरों की ऊँचाई 100 फीट से भी अधिक पाई गई है।
🔴 Kamchatka earthquake — what’s known so far
— Sputnik (@SputnikInt) July 30, 2025
🔸 A magnitude 8.7 earthquake struck Kamchatka — the strongest in the region since 1952.
🔸 Aftershocks up to M7.5 are expected over the next month.
🔸 Kamchatka Governor Vladimir Solodov called it the strongest quake in a decade.… https://t.co/XMtlu0dPf4 pic.twitter.com/XDIMKmipq2
सुनामी अक्सर भूकंप के कारण समुद्र तल में होने वाली हलचल के कारण उत्पन्न होती है। भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट और यहाँ तक कि उल्कापिंड भी सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं। यदि कोई बड़ा भूकंप महसूस किया जाता है, तो चेतावनी जारी होने से पहले ही, कुछ ही मिनटों में सुनामी समुद्र तट तक पहुँच सकती है। सबसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्र समुद्र तल से 25 फीट से कम ऊँचाई पर और तटरेखा से एक मील के भीतर हैं। सुनामी से होने वाली अधिकांश मौतें डूबने से होती हैं। इससे जुड़े जोखिमों में बाढ़, पेयजल का दूषित होना, फटे हुए टैंकों या गैस लाइनों से आग लगना, और महत्वपूर्ण सामुदायिक बुनियादी ढाँचे (पुलिस, अग्निशमन और चिकित्सा सुविधाएँ) का नुकसान शामिल है।
दुनिया में सबसे ज्यादा सुनामी प्रशांत महासागर में आती है, खासकर इसके रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में। यह क्षेत्र भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि के लिए जाना जाता है, जो सुनामी का कारण बनते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं, जिसके कारण अक्सर भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं. ये गतिविधियां सुनामी का कारण बन सकती हैं।जापान और इंडोनेशिया में सुनामी का अनुभव अधिक आता है। 2004 हिंद महासागर सुनामी एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने 14 देशों को प्रभावित किया और 227,898 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
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