सूडान के पश्चिमी क्षेत्र में मर्रा पर्वत के एक गांव में हुए भीषण भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई, जिसमें 1,000 से अधिक लोगों की जान चली गई। सूडान लिबरेशन मूवमेंट (आर्मी) के अनुसार, इस आपदा में केवल एक व्यक्ति ही जीवित बच सका। इस हृदय विदारक घटना ने पूरे गांव को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया, जिससे वहां का अस्तित्व ही मिट गया।
भूस्खलन की भयावहता और प्रभावित क्षेत्र
सूडान लिबरेशन मूवमेंट, जिसका नेतृत्व अब्देल वाहिद मोहम्मद नूर कर रहे हैं, ने बताया कि ये भूस्खलन दारफुर क्षेत्र के एक गांव में हुआ। इस त्रासदी ने पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों की जान ले ली। संगठन ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों से तत्काल मदद की अपील की है ताकि मृतकों के शवों को निकाला जा सके और प्रभावित क्षेत्र में राहत कार्य शुरू किए जा सकें।
युद्ध और संकट के बीच त्रासदी
गौरतलब है कि मर्रा पर्वत क्षेत्र में रहने वाले लोग पहले से ही सूडान की सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) के बीच चल रहे गृह युद्ध के कारण विस्थापित होकर यहां शरण ले रहे थे। ये गृहयुद्ध, जो पिछले दो वर्षों से जारी है, सूडान की लगभग आधी आबादी को भुखमरी और संकट के कगार पर ला चुका है। उत्तर दारफुर की राजधानी अल-फाशिर पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिसके कारण लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। मर्रा पर्वत क्षेत्र में शरण लेने वाले लोगों को भोजन और दवाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
अंतराष्ट्रीय सहायता की जरूरत
इस त्रासदी ने सूडान के पहले से ही जटिल मानवीय संकट को और गहरा कर दिया है। सूडान लिबरेशन मूवमेंट ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया है कि वो इस क्षेत्र में तत्काल सहायता प्रदान करे। भूस्खलन से प्रभावित गांव में राहत और बचाव कार्यों की तत्काल आवश्यकता है ताकि मृतकों के शवों को सम्मानजनक तरीके से निकाला जा सके और जीवित बचे लोगों को सहायता प्रदान की जा सके।
सूडान में मानवीय संकट
सूडान में चल रहा गृहयुद्ध न केवल हिंसा और विनाश का कारण बना है, बल्कि इसने लाखों लोगों को भोजन, आश्रय और चिकित्सा सुविधाओं से वंचित कर दिया है। इस भूस्खलन ने उन लोगों की पीड़ा को और बढ़ा दिया है जो पहले से ही युद्ध की विभीषिका से जूझ रहे थे। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से तत्काल कार्रवाई और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है ताकि इस क्षेत्र में मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।
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