अफगानिस्तान में तालिबान ने एक बार फिर लोगों की जिंदगी को और मुश्किल कर दिया। बल्ख प्रांत में अब वाईफाई इंटरनेट पर पूरी तरह रोक लग गई है। तालिबान का कहना है कि यह कदम अनैतिक चीजों को रोकने के लिए उठाया गया है। प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता हाजी अताउल्लाह जैद ने बताया कि यह आदेश तालिबान के बड़े नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा ने दिया है। अब सरकारी दफ्तरों, निजी कंपनियों, स्कूलों और घरों में केबल इंटरनेट की सुविधा खत्म हो चुकी है। हालांकि, मोबाइल डेटा अभी चल रहा है, लेकिन यह लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में कम पड़ रहा है।
बल्ख में क्यों लगा यह बैन
बल्ख प्रांत अफगानिस्तान का एक अहम हिस्सा है। यहां मजार-ए-शरीफ जैसे बड़े शहर हैं, जहां लोग पढ़ाई, व्यापार और रोज के कामों के लिए इंटरनेट पर निर्भर हैं। तालिबान ने 2021 में सत्ता हथियाने के बाद पहली बार इंटरनेट पर इतना बड़ा प्रतिबंध लगाया है। हाजी अताउल्लाह जैद ने कहा कि यह कदम अनैतिक कंटेंट को रोकने के लिए जरूरी था। लेकिन उन्होंने यह साफ नहीं किया कि इसकी जगह कोई दूसरा रास्ता क्या होगा। लोग हैरान हैं कि सिर्फ बल्ख को ही क्यों चुना गया। क्या यह पाबंदी दूसरे प्रांतों तक भी जाएगी? तालिबान ने अभी इस बारे में कुछ नहीं बोला।
लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं। एक स्थानीय निवासी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इंटरनेट के बिना जिंदगी जैसे रुक सी गई है। उनके घर में पांच लोग हैं, जिनमें दो बच्चे स्कूल जाते हैं। ऑनलाइन पढ़ाई और घर के कामों के लिए वाईफाई जरूरी था। अब मोबाइल डेटा बहुत धीमा है और महंगा भी। एक दुकानदार ने बताया कि वह विदेशी ग्राहकों से बात करने के लिए वाईफाई का इस्तेमाल करते थे। अब धीमे इंटरनेट की वजह से उनके धंधे पर असर पड़ रहा है।
जिंदगी पर पड़ रहा गहरा असर
यह बैन सिर्फ इंटरनेट तक नहीं रुक रहा। इसका असर लोगों के रोज के कामों पर भी पड़ रहा है। तालिबान का कहना है कि अनैतिक वीडियो और सामग्री को रोकना उनका मकसद है। लेकिन स्थानीय लोग इसे अपनी आजादी छिनने जैसा मान रहे हैं। एक छात्र ने बताया कि ऑनलाइन क्लास और रिसर्च के लिए तेज इंटरनेट चाहिए। मोबाइल डेटा से काम चलाना मुश्किल है। कई परिवारों में लोग अब मोबाइल पर ज्यादा वक्त बिता रहे हैं, जिससे उनकी दिनचर्या बदल रही है। व्यापारियों का कहना है कि यह बैन उनकी कमाई को ठप कर रहा है। बल्ख में इंटरनेट कई लोगों के लिए रोजी-रोटी का जरिया था। अब इस सख्ती ने सब कुछ बदल दिया है। तालिबान की यह नीति पूरे अफगानिस्तान में चर्चा का विषय बनी हुई है।
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