नेपाल इन दिनों गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। लगातार हिंसक प्रदर्शनों और सरकार विरोधी माहौल के बीच अंतरिम सरकार के गठन की चर्चा जोर पकड़ चुकी है। राजधानी काठमांडू और अन्य हिस्सों में युवाओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच, प्रधानमंत्री पद के लिए कई नाम सामने आए हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, काठमांडू के मेयर बालेन शाह और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमन घीसिंग तीनों ही अलग-अलग वर्गों में लोकप्रिय माने जा रहे हैं। हालांकि, ताजा घटनाक्रम में युवाओं ने एक सुर से कुलमन घीसिंग को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपने की मांग उठाई है।
कुलमन घीसिंग ‘बिजली हीरो’
54 वर्षीय कुलमन घीसिंग का नाम नेपाल में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के प्रमुख रहते हुए लंबे समय से चली आ रही बिजली कटौती की समस्या का समाधान निकाला था। काठमांडू घाटी समेत कई इलाकों में घंटों की लोडशेडिंग को खत्म करना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। इस वजह से उन्हें जनता के बीच “बिजली हीरो” का दर्जा मिला। मार्च में सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया था, जिसकी वजह उनके ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का से मतभेद बताए गए। लेकिन यही बर्खास्तगी उनके लिए अवसर भी बन गई घीसिंग का सरकार विरोधी रुख युवाओं को बेहद भाया और उन्होंने उन्हें एक सच्चे बदलावकारी नेता के रूप में देखना शुरू किया। यही वजह है कि आज वे अंतरिम प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं।
सुशीला कार्की और बालेन शाह भी थे मजबूत लेकिन रेस में पीछे
अंतरिम पीएम की दौड़ में सबसे पहले सुशीला कार्की का नाम सामने आया था। देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं कार्की को उनकी साफ छवि और न्यायिक अनुभव के लिए सराहा जाता है। लेकिन उनकी उम्र और बदलते राजनीतिक समीकरणों के कारण उनका नाम अंतिम सूची से हट गया। दूसरी ओर, काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेन शाह भी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। इंजीनियर और रैपर के रूप में पहचाने जाने वाले शाह ने शुरुआत से ही जेनरेशन जेड के आंदोलनों का खुलकर समर्थन किया। सोशल मीडिया पर उनकी पकड़ भी बेहद मजबूत है। इसके बावजूद इस बार की दौड़ में कुलमन घीसिंग उनसे आगे निकल गए हैं।
घीसिंग का है भारत से गहरा संबंध
कुलमन घीसिंग का भारत से भी गहरा संबंध है। उन्होंने जमशेदपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 1994 में नेपाल विद्युत प्राधिकरण से जुड़े। तकनीकी समझ और प्रबंधन कौशल के दम पर उन्होंने नेपाल की ऊर्जा व्यवस्था में सुधार लाया। यही कारण है कि आज नेपाल की नई पीढ़ी उन्हें एक प्रगतिशील और सक्षम नेता के रूप में देख रही है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, प्रदर्शनकारी युवाओं का मानना है कि केवल कोई ऐसा व्यक्ति ही अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर सकता है, जिसने जनता की वास्तविक समस्याओं को हल करने की क्षमता दिखाई हो। कुलमन घीसिंग का अब तक का कामकाज यही साबित करता है। यदि वे अंतरिम प्रधानमंत्री बनते हैं तो यह नेपाल की राजनीति में युवाओं की जीत और नई दिशा का संकेत होगा।
Keywords – Nepal Interim Government, Kulman Ghising Prime Minister, Nepal Political Crisis, Protests In Nepal, Kathmandu Politics