नेपाल इन दिनों उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में इंटरनेट बंदी के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। खबर है कि अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हैं। इन हालातों के बीच भारत सरकार ने नेपाल में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि भारतीय नागरिक सतर्क रहें और नेपाल सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत नेपाल की मौजूदा स्थिति पर नजर बनाए हुए है और शांति बहाल होने की उम्मीद करता है। वहीं इसी बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली नेपाल छोड़ किसी दूसरे देश में जा सकते हैं।
नेपाल में विरोध तेज, मंत्रियों के इस्तीफों का दौर शुरू
नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सोमवार से जारी युवाओं का विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है। अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और शेर बहादुर देउबा के घरों के साथ ही हाल ही में गृहमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले रमेश लेखक और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के आवासों में तोड़फोड़ और आगजनी की। इस बीच सरकार में इस्तीफों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। गृहमंत्री रमेश लेखक के बाद मंगलवार को कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि सवाल उठाने वालों का दमन गलत है। इसी दिन स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से हटने की घोषणा की। इन हालातों के बीच प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने आज शाम 6 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है।
पीएम ओली का बड़ा बयान
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देशभर में जारी विरोध और हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि Gen-Z आंदोलन के दौरान हुई दुखद घटनाओं ने उन्हें गहराई से आहत किया है। ओली ने दावा किया कि सरकार को उम्मीद थी कि युवा अपनी मांगें शांतिपूर्वक रखेंगे, लेकिन “कुछ स्वार्थी तत्वों” की घुसपैठ ने हालात बिगाड़ दिए और निर्दोष नागरिकों की जान गई। ओली ने साफ किया कि सरकार सोशल मीडिया के इस्तेमाल को रोकने के पक्ष में नहीं है और प्रधानमंत्री ओली ने भरोसा दिलाया कि उचित माहौल सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “लगातार प्रदर्शन की कोई आवश्यकता नहीं थी और हालात को अब और बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।”
प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि घटनाओं और नुकसान की पूरी जांच की जाएगी। इसके लिए एक विशेष जांच समिति बनाई जाएगी, जो 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाएगी।
नेपाल सरकार ने हटाया सोशल मीडिया प्रतिबंध
नेपाल सरकार ने छात्रों और युवाओं के उग्र विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया है। संचार, सूचना और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कैबिनेट की आपात बैठक के बाद इसकी घोषणा की। सूचना मंत्रालय ने संबंधित एजेंसियों को तुरंत सभी सोशल मीडिया साइट्स को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सरकार ने Gen Z प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वे आंदोलन समाप्त करें और शांति बनाए रखें। सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के बजाय उसे सुरक्षित और जिम्मेदार ढंग से उपयोग करने के लिए वातावरण तैयार किया जाएगा।
सोशल मीडिया बैन से भड़की आग
नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब और एक्स (ट्विटर) जैसे 26 बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया। सरकार का कहना है कि ये प्लेटफॉर्म्स बिना स्थानीय पंजीकरण और शिकायत निवारण तंत्र के काम कर रहे थे। हालांकि, टिकटॉक और वाइबर जैसे कुछ प्लेटफॉर्म्स ने शर्तें मान लीं, लेकिन अन्य को बंद कर दिया गया। इस कदम ने खासकर जेनरेशन Z यानी युवाओं में गुस्सा भड़का दिया, जो डिजिटल आज़ादी को अपनी पहचान मानते हैं। उनके लिए यह केवल इंटरनेट का मुद्दा नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा सवाल बन गया।
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