इजरायल की सेना ने यमन की राजधानी सना में हमला किया। जिसमें प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी समेत कई अन्य मंत्री भी मारे गए। हवाई बमबारी में 10 से अधिक हूती कमांडर भी मारे गए हैं वहीं 90 के करीब लड़ाके घायल भी हुए हैं।
शनिवार को एक बयान में विद्रोही सशस्त्र समूह ‘हूती’ ने कहा कि प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी गुरुवार को हुए एक हवाई हमले में कई अन्य मंत्रियों के साथ मारे गए। यह हमला तब हुआ जब प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों के साथ सरकार के पिछले एक साल के कार्य की समीक्षा के लिए इकठ्ठा हुए थे। यमन के हूती विद्रोहियों ने शनिवार को पीएम अहमद अल-रहावी के हमले में मारे जाने की पुष्टि की।
कई मंत्रियों के मौत की आशंका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हमले के वक्त हूती रक्षा मंत्री मोहम्मद अल-अती और सैन्य प्रमुख मोहम्मद अब्द अल-करीम अल-घमारी भी प्रधानमंत्री के साथ वर्कशॉप में मौजूद थे। वहीं हमले में इनके मारे जाने की आशंका है फिलहाल हूती विद्रोहियों ने अभी तक इन दोनों की मौत की पुष्टि नहीं की है। इस हमले में प्रधानमंत्री अहमद-अल-रहावी की दर्दनाक मौत हो गयी।
10 हूती कमांडर की मौत, 90 से अधिक घायल
गुरुवार यानी 28 अगस्त को ईरान समर्थित सशस्त्र समूह हूती ने यमन से इजराइल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए थे जिसके जवाब में इजराइली वायुसेना ने यमन की राजधानी सना पर हवाई बमबारी की और विद्रोही समूह के सैन्य ठिकानों और राष्ट्रपति भवन को निशाना बनाया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इजराइली हमले में 10 से अधिक हूती कमांडर मारे गए हैं और 90 के करीब लड़ाके घायल हुए है।
हूती कौन हैं और उनका मकसद क्या है
हूती, जिसे अंसार अल्लाह भी कहते हैं जिसका आशय है ‘अल्लाह के समर्थक’। यमन में सक्रिय एक शिया-जैदी मुस्लिम विद्रोही समूह है। इस समूह की स्थापना हुसैन बदरुद्दीन अल-हूती ने 1990 के दशक में उत्तरी यमन के सादा प्रांत में किया था। इस समूह का मकसद हूती यमन में शिया समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना है। हूती एक लोकतांत्रिक, गैर-सांप्रदायिक गणराज्य का समर्थन करते हैं। साथ ही सुन्नी विचारधारा के विस्तार का विरोध और स्वतंत्र शासन स्थापित करने की मांग उनका प्रमुख मुद्दा है।
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